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Sunday, November 10

राजस्थान के इन जिलों के बदल सकते है कलेक्टर और एसपी, पढ़ें खबर

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। लोकसभा चुनाव के समापन और आचार संहिता हटने के साथ ही अब राजस्थान में एक बार फिर से ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की कवायद के साथ ही शिक्षा विभाग चिकित्सा विभाग, विद्युत विभाग, वित्त विभाग, राजस्व विभाग, खनिज विभाग और पुलिस विभाग आदि में तबादलों की तैयारी शुरू हो गई है। इसी महीने ब्यूरोक्रेसी की बड़ी सूची आने की पूरी संभावना है। विश्वस्त सूत्रो के अनुसार आईएएस और आईपीएस की बड़ी तबादला सूची बन रही है। जिसमें 20 से अधिक जिलों के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक तथा कुछ संभाग के संभागीय आयुक्त भी बदले जाऐंगे।

सूत्रो के अनुसार श्रीगंगानगर, धौलपुर, भरतपुर, बांसवाड़ा, दौसा, बीकानेर, सीकर झुंझुनू, नागौर, चूरू, बाड़मेर,  जयपुर, अजमेर, उदयपुर, टोंक, व करौली और सवाई माधोपुर जिलों सहित 20 से अधिक जिलों के जिला कलेक्टर बदले जाएंगे ? वहीं पिछली सरकार में वित्त, चिकित्सा, राजस्व मंडल, कार्मिक विभाग के अलावा चार संभागीय आयुक्त  जयपुर, भरतपुर,  जोधपुर और बांसवाड़ा भी पिछली सरकार के समय से जमे है। तथा आरएएस अधिक को भी दो बड़ी सूचिया बन रही है जिसमें 300 से अधिक आरएएस अधिकारियों के तबादले हो सकते हैं। साथ ही बड़े स्तर पर आरपीएस अधिकारियों के भी तबादले होंगे।

ब्यूरोक्रेट्स के अलावा चिकित्सा और शिक्षा विभाग, खनिज विभाग, राजस्व विभाग, वित्त विभाग, पुलिस विभाग और विद्युत विभाग में भी बड़े स्तर पर तबादले किए जाएंगे। शिक्षा विभाग में तो राजस्थान में भाजपा की सरकार आने के बाद तबादले किए ही नहीं गए। सरकार ने बीच में तबादलों पर रोक हटाई थी लेकिन शिक्षा विभाग में बोर्ड की परीक्षाओं के कारण तबादले नहीं किए गए थे। ब्यूरोक्रेसी में तबादलों के पीछे लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सत्ता पक्ष भाजपा की करारी हार तथा राजस्थान में भाजपा की सरकार को बने 6 महीने हो गए लेकिन ब्यूरोक्रेसी प्रदेश में गुड गवर्नेस स्थापित करने में असफल रही है।

अभी कुछ समय पहले ही सीएस सुधांश पंत ने सभी कलेक्टर और संभागीय आयुक्तों की फाइलों के निस्तारणं और कार्य प्रणाली को लेकर एक रेटिंग जारी की थी। जिससे कि जिलों के जिला कलेक्टर को छोडक़र 37 जिलों के जिला कलेक्टर की कार्य प्रणाली धीमी पाई गई थी। कुछ संभागीय आयुक्त भी अपने कार्य प्रणाली की रेटिंग पर खड़े नहीं उतरे थे तथा प्रदेश के अधिकांश जिलों में अपराध पर भी नियंत्रण कर पाने में पुलिस अधीक्षक भी सरकार की उम्मीद पर खरे नहीं उतरे है।

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