अभिनव न्यूज, नेटवर्क। राजस्थान की सबसे चर्चित और हॉट सीट बाड़मेर पर इस बार सभी की नजर थी। यहां मुकाबला था भाजपा से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, कांग्रेस के उम्मेदराम बेनीवाल और शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी के बीच।भाटी ने विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोकी और चुनावी मैदान में उतरे।4 जून को आए परिणाम में कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल को जनता ने नया सांसद चुना। उम्मेदाराम बेनीवाल के राजनीति में आने का सफर भी बड़ा रोचक रहा है। बेनीवाल को राजनीति विरासत में नहीं मिली।
10 साल दिल्ली पुलिस में नौकरी, कुछ बड़ा करने का था सपना: उम्मेदाराम बेनीवाल ने बताया कि, मेरा जन्म बाड़मेर जिले के गिड़ा तहसील के पूनियों का तला गांव निंबाणियों की ढाणी में हुआ था। मैं पुलिस में बड़े अधिकारी के पद पर जाना चाहता था। 12वीं के बाद अलग-अलग एग्जाम दिए। इसके बाद 1995 में मेरा सिलेक्शन दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर हुआ। मैंने वहां 10 साल करीब 2005 तक नौकरी की। कॉन्स्टेबल बना तो मैंने ठान लिया था कि मुझे किसी बड़े पद पर जाना है। साल 2000 में मैंने ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद पुलिस भर्ती के लिए एग्जाम भी दिए लेकिन सफल नहीं हो पाया। साल 2005 में मैंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी और बिजनेस करने की सोची। किसी ने आइडिया दिया कि हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
उम्मेदाराम ने बताया कि साल 2006 में दिल्ली में हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस शुरू किया तो काफी सफल हुआ। जर्मनी में भी स्टॉल लगाकर हैंडीक्राफ्ट के आइटम बेचे।इस बीच मेरा गांव जाना हुआ। उस समय सरंपच के चुनाव आने वाले थे। गांव वालों ने मीटिंग बुलाई, जिसमें मैं भी था। वहां गांव वालों ने मुझे कहा कि आपको सरपंच बनाएंगे और जिताएंगे भी।साल 2010 के पंचायती राज चुनाव में उम्मेदाराम बेनीवाल को ही मैदान में उतरना था। लेकिन, उनके पूनियों का तला ग्राम पंचायत में महिला सीट आरक्षित हुई। गांव वाले जिद पर थे बेनीवाल के परिवार से ही सरपंच बनाएंगे तो पत्नी पुष्पादेवी को चुनावी मैदान में उतारा और गांव के लोगों ने मिलकर सरपंच बनाया। यहीं से उम्मेदाराम बेनीवाल के राजनीति की शुरुआत हुई। इसके बाद गांव में ही कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया।।
साल 2018 में हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) बनाई। उम्मेदाराम बेनीवाल ने भी RLP जॉइन की। बेनीवाल ने बताया इसके बाद बायतु से दो बार चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। दोनों चुनाव मजबूती से ईमानदारी से लड़ा था। वहां देखा कि अकेले लड़कर पार पड़ना मुश्किल है। पंचायती राज चुनाव 2020 में उम्मेदाराम बेनीवाल ने जिला परिषद सदस्य 34 से RLP से चुनाव लड़ा और जीत गए। लगातार 5 साल तक बायतु विधानसभा में रहे। लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याओं को उठाया। जिला परिषद में अपनी मुखर आवाज से सबको प्रभावित किया।
विधानसभा चुनाव 2023 में उम्मेदाराम बेनीवाल ने आरएलपी सिंबल से फिर बायतु विधानसभा से चुनाव लड़ा। इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय था। कांग्रेस से हरीश चौधरी, बीजेपी से बालाराम मूंढ और आरएलपी से उम्मेदाराम बेनीवाल थे। मुकाबला हरीश चौधरी और उम्मेदाराम के बीच हुआ। उम्मेदाराम (75911 वोट मिले) नजदीक मुकाबले में केवल 910 वोटों से हार गए।