अभिनव न्यूज, नेटवर्क। राजस्थान के बहुचर्चित भट्टी कांड में 10 महीने बाद बड़ा फैसला आया है। गैंगरेप के बाद नाबालिग को जिंदा कोयले की भट्टी में जलाने के मामले में भीलवाड़ा पॉक्सो कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को दोषी माना है। वहीं, सात आरोपियों को बरी कर दिया है। बता दें कि पिछले साल 2 अगस्त को शाहपुरा जिले के कोटडी थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप कर जिंदा कोयले की भट्टी में जलाने के मामला सामने आया था।
भीलवाड़ा भट्टी कांड में 9 महिला-पुरुष पर मुकदमा चल रहा था। भीलवाड़ा पॉक्सो कोर्ट दो ने इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद शनिवार दोपहर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने दो मुख्य आरोपी सगे भाई कालू और कान्हा कालबेलिया को दोषी माना है। वहीं, 7 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। जिनमें मुख्य आरोपियों की पत्नी, बहन, मां-पिता सहित एक अन्य है। अब इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी, तब आरोपियों को सजा सुनाई जाएगी।
43 गवाहों के हुए थे बयान
जयपुर निवासी विशेष लोक अभियोजक महावीर किसनावत ने बताया कि इस मामले में पिछले 10 महीने से 9 महिला-पुरुष मुलजिमान की ट्रायल पॉक्सो कोर्ट 2 में सुनवाई जारी थी। इस मामले में आज कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए दो सगे भाईयों को दोषी माना है और 7 को बरी कर दिया है। इस मामले में सरकार की ओर से 43 गवाहों के बयान पंजीबद्ध करवाए गए थे। एक महिला गवाह ने अभियोजन साक्ष्य के खिलाफ बयान दिया जिस पर स्पेशल पी पी किसनावत ने महिला गवाह को पक्ष द्रोही घोषित किया। क्योंकि वह महिला गवाह प्रकरण के मुख्य अभियुक्त की सास थी। अभियोजन की ओर से 222 दस्तावेज साक्ष्य प्रस्तुत करवाए गए थे।
ये था मामला
गौरतलब है कि शाहपुरा जिले के कोटडी थाना क्षेत्र में 2 अगस्त 2023 को एक सनसनीखेज मामला सामने आया था, जहां गिरडिया पंचायत क्षेत्र की एक नाबालिग लड़की जो अपने खेत पर बकरियां चराने गई थी, उसके साथ गैंगरेप करके आरोपियों ने उसे जिंदा ही कोयले की भट्टी में डाल दिया था। नाबालिग लड़की जब शाम तक घर नहीं लौटी तो परिजनों ने किशोरी की तलाश की। इस बीच उसके बॉडी के अवशेष 3 अगस्त की सुबह खेत पर संचालित कोयले की भट्टी में मिले। इसके बाद स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश फैल गया था। रेप करने वाले लोगों के घर की महिलाओं ने भी लाश को ठिकाने लगाने में उनका साथ दिया था। भट्टी में जो अवशेष नहीं जल सके उनको प्लास्टिक के बोरे में डालकर नदी में फेंक दिया था। वहां से भी अवशेष बरामद किए गए थे। मामले की जांच कोटड़ी के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक श्याम सुंदर बिश्नोई ने की थी, जिसकी मॉनिटरिंग एडीजी क्राइम दिनेश एम एन व अजमेर रेंज आईजी लता मनोज ने की थी।