Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Friday, September 20

राजस्थान में बनेगा देश का पहला ‘एग्रो इको टूरिज्म’ व ‘इंटरनेशनल फ्लावर रिसर्च सेंटर’

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। नई सरकार के साथ ही नया साल 2024पर्यटन स्थल माउंट आबू के लिए अच्छी खबर लेकर आ रहा है। प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए देश का पहला एग्रो ईको टूरिज्म व इंटरनेशनल फ्लावर रिसर्च सेंटर बनने जा रहा है। कृषि विभाग ने इसके लिए सनसेट प्वॉइंट के पास उद्यान विभाग को पुरानी नर्सरी की 12 बीघा जमीन उपलब्ध करवाई है। साथ ही इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 10 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया है। वहीं, कृषि विपणन बोर्ड सुमेरपुर ने इस योजना के तहत 7.45 करोड़ रुपए के टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। बाकी 2.55 करोड रुपए के कार्य राजहंस के तहत होंगे। अब जल्द ही यह कार्य कृषि विपणन बोर्ड शुरू करवाएगा। माउंट आबू में बनने वाले एग्रो ईको टूरिज्म व इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर में ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, ग्लास हाउस पद्धति से खेती के तरीके और अंतरराष्ट्रीय फूलों की खेती पर अनुसंधान किया जाएगा।

दो वर्षों से ठंडे बस्ते में चल रही थी योजना

इस योजना के लिए सरकार ने दो वर्ष पूर्व आर के वी वाई (राष्ट्रीय कृषि विकास योजना) के तहत 10 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। साथ ही विभाग द्वारा इसके टेंडर भी कर दिए थे। वहीं जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली समिति ने इसको लेकर अनुमति भी जारी कर दी थी। टेंडर होने के बाद संबंधित फर्म ने कार्य भी शुरू कर दिया था, लेकिन बीच में ही कार्य छोड़ने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। हालांकि नई सरकार बनने के बाद विभाग ने अपने स्तर पर इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।

विदेशी प्रजातियों के कट फ्लावर पर होगा रिसर्च

माउंट आबू के फ्लावर रिसर्च सेंटर शुरू होने के बाद इसमें विदेशी कट फ्लावर पर रिसर्च होगा। अभी राजस्थान में सिर्फ हंजारा, गुलाब फूल जैसी दो-तीन प्रजातियों के फूलों की खेती ही होती है, लेकिन माउंट आबू का मौसम फूलों की प्रजातियों के अनुकूल होने के कारण ओरकिड, टूलिफ, रजनी गंधा समेत अन्य विदेशी प्रजातियों के कट फ्लावर पर रिसर्च कर फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी रिसर्च सेंटर खुला रहेगा।

दक्षिण अफ्रीका की हाइड्रोपॉनिक पद्धति से खेती

माउंट आबू में दक्षिण अफ्रीका की तर्ज पर हाइड्रोपॉनिक पद्धति (भूमि रहित खेती) को भी बढ़ावा दिया जाएगा। हाइड्रोपॉनिक पद्धति में ट्रे लगाकर फल-सब्जियां तैयार की जाएगी। रिसर्च सेंटर में पॉली हाउस, ग्रीन हाउस से भी खेती की जाएगी। ताकि इसे देखकर किसान अपने खेतों में इस आधुनिक तकनीकी का उपयोग कर सकें। और नई पद्धतियों के बारे में वे जानकारी भी ले सकेंगे।

Click to listen highlighted text!