अभिनव न्यूज, बीकानेर। कविता संवेदना संघर्ष और सहानुभूति को एक संयम के साथ प्रस्तुत करने का हुनर है। वर्तमान दौर में जहां कवि और कविता को लेकर तरह-तरह की बातें एवं प्रयोग हो रहे हैं। इसी संदर्भ में तमाम भारतीय भाषाओं में कविता एक नई करवट ले रही है। यह उद्गार कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने व्यक्त किए। अवसर था प्रज्ञालय एवं कमला देवी लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट द्वारा आयोजित देश के ख्यातनाम साहित्यकार, नाटककार, चिंतक एवं शिक्षाविद् कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में होने वाले कार्यक्रमों की 11वीं कड़ी का जो नत्थूसर गेट के बाहर स्थित, कमला सदन बीकानेर में आयोजित हुए विशेष त्रिभाषा काव्य गोष्ठी जो कि पिता पर केन्द्रित रही।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शायर जाकिर अदीब ने लक्ष्मीनारायण रंगा के रचना संसार पर बोलते हुए कहा कि रंगा मानवीय चेतना के सशक्त पैरोकार थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा का साहित्य हमें सकारात्मक सृजन ऊर्जा देता है। प्रारंभ में अतिथियों द्वारा लक्ष्मीनारायण रंगा के तेल चित्र पर माला अर्पण की गई साथ ही उपस्थित सभी कवि शायरों ने अपनी श्रद्धासुमन अर्पित किए। संस्कृतिकर्मी प्रेमनारायण व्यास ने रंगा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपनी बात रखते हुए आयोजन संस्था द्वारा पूर्व में आयोजित विभिन्न तरह के दस कार्यक्रमों का विवरण रखा। त्रिभाषा विशेष काव्य गोष्ठी में कवयित्री डॉ. कृष्णा आचार्य, कमल रंगा, शायर जाकिर अदीब, कवि राजेन्द्र जोशी, कवि डॉ गौरीशंकर प्रजापत पिता समर्पित कविताएँ पढ़ी एवं रंगकर्मी बी.एल. नवीन ने भजन पेश किया। शायर वली मोहम्मद गौरी, कवि राजाराम स्वर्णकार, कवि जुगल पुरोहित, बाबूलाल छंगाणी, कैलाश टाक, शिव दाधीच और अब्दुल शकूर बीकाणवी ने पिता को समर्पित अपनी नई रचना के माध्यम से जीवन और पिता के संबंधों को उकेरा। इसी कडी में डॉ नृसिंह बिन्नाणी, कवि गिरीराज पारीक विप्लव व्यास ने अपनी कविताओं में पिता- पुत्र के रिश्तों पर बात रखी। कार्यक्रम में कवि मईनुद्दीन, गंगा बिशन बिश्नोई एवं कोलकाता के हिंगलाज दान रतनू की भेजी पिता पर केन्द्रित रचनाओं का भी वाचन किया गया।
कार्यक्रम में राजेश रंगा, हरिनारायण आचार्य, भवानी सिंह, कार्तिक मोदी, सुनील व्यास, तोलाराम सारण, नवनीत व्यास, आशीष रंगा सहित कई काव्य रसिकों ने अपनी गरिमामय साक्षी दी। कार्यक्रम का संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया। सभी का आभार संस्कृतिकर्मी डॉ. फारूक चौहान ने ज्ञापित किया।