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Friday, September 20

सफलता मिलने तक करते रहे पुरुषार्थ – आचार्य महाश्रमण

  • रासीसर में तेरापंथ अनुशास्ता का मंगल पदार्पण

– पूज्यप्रवर ने दी समय के सदुपयोग की प्रेरणा

अभिनव टाइम्स | देश–विदेश में हजारों किलोमीटर की पदयात्रा पर अपने प्रवचनों से जनता का हृदय परिवर्तन कर एक करोड़ से अधिक व्यक्तियों को नशामुक्ति का संकल्प कराने वाले राष्ट्रसन्त युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी वर्तमान में बीकानेर जिले को अपने चरणों से पावन बना रहे हैं आज आचार्यश्री का अपनी धवल सेना के साथ रासीसर में मंगल पदार्पण हुआ। इससे पूर्व प्रातः आचार्य श्री ने आमदसर प्रस्थान किया। राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 89 पर लगभग 10 किलोमिटर का विहार कर जब गुरूदेव रासीसर पधारे तो मानों चिर प्रतीक्षित स्वप्न पूरा होने पर ग्राम वासियों रासीसर अपने भाग्य को सराह रहे थे। शान्तिदूत के आगमन से समस्त ग्रामवासियों में उल्लास का माहौल था। श्रावक समाज गण वेश में जुलूस द्वारा अपने आराध्य की अभिवन्दना कर रहा था। आचार्यश्री सर्व प्रथम नवनिर्मित राजकीय अस्पताल पधारे एवं वहां मंगलपाठ प्रदान किया तत्पश्चात प्रवास हेतु तेरापंथ भवन में गुरूदेव का पदार्पण हुआ।

मंगल देशना में युगप्रधान ने कहा – चौरासी लाख योनियों में यह मनुष्य जन्म सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण जीवन है। इस मनुष्य जीवन के बाद हमारा अगला जन्म कहाँ और कैसा होगा यह चिंतन भीतर में रहना चाहिए। अभी हम अपने पूर्वकृत कर्मों का पुण्य भोग रहे हैं। धर्म आत्म-शुद्धि का साधन है। धार्मिक आराधना में आत्म शुद्धि की भावना रहनी चाहिए न कि पुण्य की कामना। मनुष्य जीवन से व्यक्ति किसी भी गति में जा सकता है, मोक्ष का वरण भी इसी जन्म से संभव है।

गुरूदेव ने आगे कहा की हम भी अपने पुरुषार्थ से अपने आने वाले भव व जीवन को सदा वर्धमान करते रहें। जो व्यक्ति पुरुषार्थहीन होता है वह अभागा व्यक्ति है। पुरुषार्थ करने के बाद भी यदि एक बार में सफलता न मिले तो फिर प्रयास करते रहो। छोटे–छोटे कई गड्डे खोदने से पानी नहीं निकलता बल्कि एक गहरा गड्डा खोदने से उसमें से पानी निकल सकता है। मनुष्य जीवन एक पूँजी है, इसे पापों में नहीं गंवाना चाहिए। पैसा कुछ तो हैं पर सब कुछ नहीं, इसलिए चौबीस घंटों में से कुछ समय धर्म साधना व आत्मा के लिए भी नियोजित करें।

इस अवसर पर अपनी पैतृक धरा पर मुनि श्री जितेन्द्र कुमार, मुनि श्री नय कुमार ने अपने विचार रखे। नोखा से समागत साध्वी श्री पुलकितयशा एवं साध्वी श्री कुसुमप्रभा ने गीतिका का संगान किया। स्वागत के क्रम में स्थानीय पूर्व सरपंच श्री हरीराम सिंघड़, तेरापंथ सभा से श्री सुनील सुराणा, श्री वीरेंद्र छाजेड़, बीकानेर जैन महासभा अध्यक्ष लूणकरण छाजेड़, यश आंचलिया , दर्शन सुराणा, मुदित सुराणा, श्रीमती गंवरीदेवी छाजेड़, रुचि जैन, विनीता छाजेड़ आदि ने अपने भाव व्यक्त किये। छोगमल
लाभचंद छाजेड़ परिवार एवं तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल की बहनों ने गीतिकाओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में बीदासर से गुरु चरणों में उपस्थित श्री बच्छराज जी नाहटा ने आचार्यश्री से 30 दिन की तपस्या (मासखमण) का प्रत्याख्यान किया।

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