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Sunday, November 24

मीनाक्षी स्वर्णकार की पुस्तक ‘आओ इनसे जीना सीखें’ का हुआ लोकार्पण

अभिनव न्यूज, बीकानेर। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान बीकानेर के तत्वावधान में युवा कवियत्री मीनाक्षी स्वर्णकार की पुस्तक ‘आओ इनसे जीना सीखें’ का लोकार्पण मंगलवार को आयोजित किया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी राजस्थान एवं साहित्यागार जयपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण पवनपुरी में किया गया। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास विनोद थे तथा अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की।

प्रारंभ में साहित्यकार डॉ. सुमन बिस्सा ने पत्र वाचन किया। भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा की प्रेरक व्यक्तित्वों पर प्रकाशित पुस्तक बच्चों के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी सिखाती है, व्यास ने कहा कि महान व्यक्तित्वों के जीवन प्रसंगों को विस्तार से इस दौर में समझाने का प्रयास किया गया है जब पूरी दुनिया डिजिटल युग की तरफ दौड़ लगा रही है। व्यास ने कहा कि यह पुस्तक बालकों के जीवन का निर्माण करने में सहायक सिद्ध होगी, उन्होंने मीनाक्षी स्वर्णकार के लेखन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उसका लेखन सदैव ही समाज एवं सामाजिकता के इर्द-गिर्द रहता है। राजेन्द्र जोशी ने कहा कि बच्चे हमेशा अपने पुरखों से प्रेरणा लेते हैं, उनको पढ़ते हैं तथा उनकी गाथाएं सुनते हैं। जोशी ने पुस्तक की लेखिका मीनाक्षी स्वर्णकार को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय प्रेरक व्यक्तित्व पर इस तरह की पुस्तक की महत्वपूर्ण उपयोगिता समझी जाती है।

लेखिका मीनाक्षी स्वर्णकार ने बताया कि प्रकाशित पुस्तक में चौबीस भारतीय प्रेरक महानुभावों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर काम किया है स्वर्णकार ने बताया कि इनमें शिक्षा, कला, साहित्य, विज्ञान व तकनीक, गीतकार सहित विभिन्न विषयक प्रेरणादायक व्यक्तित्व शामिल है। स्वागत उद्बोधन करते हुए प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेम कुमार व्यास ने लेखिका मीनाक्षी स्वर्णकार के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे पूर्व मीनाक्षी की दो पुस्तके प्रकाशित हुई है। कार्यक्रम में वरिष्ठ उपन्यासकार आनंद कौर व्यास ने भी संबोधित किया।

कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि नवांकुरों हेतु महापुरुषों के प्रेरक जीवन प्रसंग और उनके संघर्ष बहुत ही उपयोगी होते हैं। इस पुस्तक को पढ़कर बच्चे अपने कर्मक्षेत्र में इतिहास रच सकेंगे। मुझे विश्वास है यह पुस्तक बच्चों को बेहद पसंद आएगी क्योंकि यह सरल भाषा में सारगर्भित लिखी गयी है। लोकार्पण समारोह में ताराचंद मण्डोरा, अनुराधा सोनी और अरुण सोनी ने भी अपने विचार रखे।

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