अभिनव न्यूज, बीकानेर। डीएसपी समेत अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज प्रकरण में गलत अनुसंधान करने का आरोप लगाते हुए एक महिला ने कोर्ट इस्तगासे के जरिए सदर पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया है। यह एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस अधिकारियों में खलबली मचा दी। इसमें कोलायत के सीओ अरविन्द बिश्रोई, समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर एक अन्य मुकदमे की परिवादी महिला ने जान बूझ कर गलत अनुसंधान करने के आरोप लगाए हैं। दरअसल, परिवादी रितु राठौड़ ने रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2022 में उसने अनिरुद्ध सिंह व लक्ष्मी के खिलाफ स्त्रीधन और जेवरात हड़पने का मामला दर्ज कराया था।
इसकी जांच में तत्कालीन सीआई सत्यनारायण गोदारा की आरोपियों से मिलीभगत के संबंध में भी उचित कार्रवाई के लिए लिखा गया था। परन्तु प्रकरण के जांच अधिकारी सीओ कोलायत अरविन्द बिश्नोई ने तथ्यों की सही छानबीन नहीं की। आरोप है कि उन्होंने विधि की ओर से निर्देशित नियमों की अवहेलना कर पीड़िता को जान बूझ कर क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से अनुसंधान सही तरह से नहीं किया। मुख्य गवाहों व दस्तावेजों पर कोई अनुसंधान नहीं किया और प्रकरण में गवाहों के बयान न लेकर आरोपियों और थानाधिकारी को बचाने की नीयत से गलत अनुसंधान किया। पीड़िता ने न्यायालय में समस्त साक्ष्य पेश कर न्याय की गुहार लगाई। इस पर न्यायालय के आदेश पर आरोपी सीओ अरविन्द बिश्रोई व अन्य के विरुद्ध धारा 166ए 166 व 120बी में मामला दर्ज किया गया है। जिसकी जांच एडीशनल एसपी (शहर) दीपक शर्मा को सौंपी गई है।
क्या कहता है कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 166 के तहत लोकसेवक जो किसी व्यक्ति को क्षतिकारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा गलत करता है। उसे एक वर्ष का साधारण कारावास, जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए के तहत लोकसेवक या सरकारी कर्मचारी कानूनी आदेशों का पालन नहीं करता है। उसे दो साल का कठोर कारावास एवं अर्थदंड से दंडित किया जा सकता है।