अभिनव न्यूज, नेटवर्क। राजस्थान में साढ़े चार तक गहलोत सरकार पर रह रह-रह कर हमला करने वाले सचिन पायलट को कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में शामिल कर कांग्रेस का विधानसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। सचिन पायलट समर्थक काफी उत्साहित है। पायलट समर्थकों का दावा है कि सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान की मजबूरी है कि गहलोत- पायलट कैंप को साधने की। राजनीतिक विश्लेषक चुनावी मजबूरी ज्यादा बता रहे हैं।
कारण, जो भी हो सचिन पायलट का कद बढ़ा है। कांग्रेस को चुनाव में फायद मिल सकता है। जबकि दूसरी तरफ चुनाव पहले गुटबाजी पर लगाम भी लग गई है। यहीं वजह है कि सचिन पायलट और उसके समर्थक खुलकर कांग्रेस सरकार रिपीट होने का दावा कर कर रहे हैं। करीब पांच महीने पायलट समर्थक गहलोत सरकार की वापसी पर संदेह जता रहे थे। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान में चुनाव से पहले गुटबाजी रोकने के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला है।
सचिन पायलट की नाराजगी दूर करने की कवायद
राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल कर पार्टी आलाकमान ने सचिन पायलट की नाराजगी दूर करने की कवायद की है। लेकिन यह स्थायी फार्मूला दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के सिवाय कुछ भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। जबकि सीएम गहलोत चौथी बार सीएम बनने के संकेत दे चुके हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की वापसी होती है तो सीएम फेस के लिए दोनों नेताओं के बीच संघर्ष तय माना जा रहा है। उल्लेथनीय है कि सचिन पायलट ने वर्ष 2023 में बगावत कर गहलोत सरकार को संकट में डाल दिया था। सचिन पायलट अपने समर्थकों संग गुड़गांव के एक होटल में कैंप किए हुए थे। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान के दखल के बाद पायलट अपने समर्थकों के साथ जयपुर लौट आए थे।
गुर्जर वोटर्स की नाराजगी हो सकती है दूर
राजस्थान में विधानसभा चुनाव साल के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट की ताकत बढ़ने से गुर्जर समाज के लिए सकारात्मक संकेत गया है। सचिन पायलट राजस्थान में गुर्जर समाज के एकमात्र स्वीकार्य लोकप्रिय नेता है। पूर्वी राजस्थान में गुर्जर समाज की खासी आबादी है।सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव 2018 में गुर्जरों ने कांग्रेस के पक्ष में जमकर वोटिंग की थी। गुर्जर समाज यह मानकर चल रहा था कि सचिन पायलट सीएम बनेंगे, लेकिन अशोक गहलोत बन गए। इससे गुर्जर समाज नाराज हो गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सचिन पायलट को कांग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल कर कुछ हद तक कांग्रेस आलाकमान ने गुर्जरों की नाराजगी दूर कर काफी हद तक सफल रहा है। हालांकि, गहलोत समर्थक माने जाने वाले प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं। लेकिन इसकी वजह यह मानी जा रही है कि सीएम गहलोत की सहमति से ही कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में राजस्थान से जुड़े सात नेताओं को शामिल किया गया है।