अभिनव न्यूज, बीकानेर। राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर की ओर से शमीम बीकानेरी “हयात और ख़िदमात” सेमिनार का आयोजन महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम नागरी भण्डार बीकानेर में शनिवार को हुआ । इस सेमिनार की सदारत करते हुए बीकानेर के बुजुर्ग शाइर मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी ने कहा राजस्थान उर्दू अकादमी को बहुत बहुत मुबारकबाद कि जिसने शमीम साहब की अदबी ख़िदमात का अहतराफ करते हुए ये सेमिनार आयोजित किया जो बहुत कामयाब रहा। तमाम पत्रवाचकों ने शमीम साहब की शायरी के मुख़्तलिफ पहलू हमारे सामने रखे जो क़ाबिले तारीफ है।
इस सेमिनार के मुख्य अतिथि कवि- कथाकार मालचंद तिवारी ने कहा मैं जब किसी को उर्दू लिखते देखता हूं तो मुझे अहसासे कमतरी होता है। उन्होंने कहा हर भारतीय को उर्दू,संस्कृत और हिन्दी भाषाएं ज़रूर आनी चाहिए जिससे अपने अदब,तहज़ीब से वाकिफ हो सके। तिवारी ने राजस्थान उर्दू अकादमी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा इस तरह के सेमिनार होने चाहिए ताकि किसी शाइर की शायरी पर संजीदगी से बात हो सके।
बीकानेर के पूर्व महापौर हाजी मकसूद अहमद ने कहा शमीम साहब बहतरीन शाइर तो थे ही।
वो बेहतरीन इंसान भी थे, ये दोनो खूबियां एक इंसान में होना बडी बात होती है शमीम साहब साफ बात कहने के पक्षधर रहे।इस सेमिनार में राजस्थान उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष शाइर आलोचक डा. निसार राही ने अपना पर्चा पढ़ते हुए कहा शमीम उर्दू शायरी की क्लासिकी राह पे गामजन थे। आसान जुबान में गहरी बात कहने का हुनर रखते थे। शमीम साहब जैसे शाइर आने वाले नौजवान शायरों की रहनुमाई करते रहेंगे। शमीम बीकानेरी उर्दू शायरी की रवायत (परम्परा) और उसकी बारीकियों के गहरे जानकर थे।
डूगर महाविद्यालय की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. अस्मा मसूद ने अपने पत्रवाचन में शमीम बीकानेरी की अदबी ख़िदमात पर रोशनी डालते हुए कहा शमीम बीकानेरी की शायरी में ज़िन्दगी के सभी अह्सास मौजूद हैं, वो टूटते इंसानी रिश्तों पर अफसोस करते हुए शायरी में आपसी मुहब्बत क़ायम करने की पैरवी करते हैं।
शाइर ज़ाकिर अदीब ने अपने पर्चे में शमीम बीकानेरी की हम्द,नात, सलाम और मनक़बत पर अपनी बात रखते हुए कहा कि शमीम साहब उर्दू शायरी के हर फन के माहिर थे।
ग़ाज़ी फतहपुरी ने शमीम साहब को एक कोहना मश्क शाइर बताया। डॉ. ज़िया उल हसन क़ादरी ने कहा कि शमीम बीकानेरी हम जैसे नौजवानों शायरों की रहनुमाई करते। थे डॉ. शकीला बानों ने कहा कि शमीम साफ दिल शाइर थे।राजस्थान उर्दू अकादमी के मेम्बर असद अली ने इस्तकबाल करते हुए शमीम बीकानेरी की यादें ताजा की। क़ासिम ने शमीम साहब के अदबी सफर को सामने रखा और सागर सिद्दीकी ने शमीम बीकानेरी की ज़ाती ज़िन्दगी के अनछुए पहलू साझा किये ।
राजस्थान उर्दू अकादमी के मेम्बर और प्रोग्राम कनवीनर शाइर इरशाद अज़ीज़ ने सेमिनार की निज़ामत करते हुए कहा शमीम साहब जैसे शाइर जिस्मानी तौर पर तो मर सकते हैं पर रूहानी तौर पर कभी नहीं मरते। वो अपने कलाम के जरिए हमेंशा ज़िन्दा रहते हैं हमारे दिलों में। आखिर में अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. निसार राही ने अकादमी की तरफ से बीकानेर के उन शायरों को भी मुबारकबाद दी जिन्हें अकादमी ने अवार्ड देने का एलान किया है। उन्होंने सभी का शुक्रिया अदा किया। इस सेमिनार में हिन्दी,उर्दू और राजस्थानी भाषा के साहित्यकार मौजूद थे