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Thursday, November 21

प्रदेश के 133 लेखकों को पाण्डुलिपि प्रकाशन सहयोग, बीकानेर के 17 रचनाकार शामिल

अभिनव न्यूज, उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा वर्ष 2023-2024 में 133 पांडुलिपियों पर 13.96 लाख रुपये के सहयोग दिए जाने की घोषणा की गई है। सोमवार को हुई संचालिका बैठक के बाद अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की स्वीकृति अनुसार पांडुलिपि प्रकाशन सहयोग योजना के अंतर्गत कुल 133 पांडुलिपियों पर लेखकों को 13.96 लाख रुपये का सहयोग स्वीकृत किए जाने की घोषणा की गई।

अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने बताया कि नए एवं ऊर्जावान लेखकों को अकादमी एवं साहित्य से जोड़ने की दृष्टि से वर्ष 2023-2024 में अधिक से अधिक पांडुलिपियों पर सहयोग स्वीकृत किया जा रहा है। यह सहयोग अकादमी के इतिहास में अबतक अधिकतम पांडुलिपियों को सहयोग है। सहारण ने बताया कि पिछले वर्ष भी अकादमी ने 121 पांडुलिपियों को सहयोग दिया था और उससे पूर्व में अस्सी के लगभग पांडुलिपयों को सहयोग प्रदान किया था।

इस वर्ष इन पांडुलियों को मिलेगा सहयोग-
अकादमी सचिव डॉ. बसंतसिंह सोलंकी के अनुसार इन पांडुलिपियों पर सहयोग दिए जाने की घोषणा की गई है-
(काव्य विधा) पक्षियों के बाल गीत (मानसी शर्मा, हनुमानगढ़ जं.), अपनी डेªस कर लूं प्रेस (रौनक रशीद खान, कोटा), तुम तक (बुनियाद हुसैन ज़हीन, बीकानेर), कागज पर खेती (प्रमोद सागर, गंगापुरसिटी) मंजुल काव्य रश्मियां (मंजु माथुर, अजमेर) एहसास का दरियां (जाकिर अदीब, बीकानेर), अमानत है जमाने की उसे लौटाने आया हूं (वली मोहम्म्द गौरी रजवी, बीकानेर), मन दर्पण के प्रतिबिम्ब (शिखा अग्रवाल, भीलवाड़ा) शहीदे आजम सरदार भगत सिंह (देवेन्द्र प्रसाद शर्मा, अलवर), बाहों के तटबन्ध (प्रकृति पण्ड्या, डूंगरपुर) विरासत का पहला पड़ाव (अर्चना लायोटिया, केकड़ी अजमेर) ताकि सनद रहे (तनुजा लालस, जोधपुर) नव्यांग (रेखा भाटिया, अजमेर) मध्य शहर में झील सुहानी (योगीराज योगी, कोटा) दास्ताँ ए जिन्दगी (माया शर्मा, अजमेर) अन्तस की चिंगारी (भावना शर्मा, कोटा), सांझ की दहलीज पे (हिमांशु सेंगर महला, चूरू) पांखी सा यह भोला मन (आभा मेहता उर्मिल, डूंगरपुर) गीत गाता चल (रघुनन्दन हटीला रघु, कोटा), नया सवेरा (उम्मेदसिंह बेचैन, करौली), एकत्व ईश माँ संसार (मैनेजर लाल बैरवा, करौली) तुम ही मेरे गीत में (मयूर पंवार, बांसवाड़ा) गाता जाये इक बंजारा (सूर्यकरण सोनी, बांवावाड़ा) भाव गागर (आशीष गौत्तम, चूरू) मैं तो हूं अलमस्त (सुमन आशीष, उदयपुर) लम्स (गुलाम मोहियूद्धीन माहिर, बीकानेर), बारिश में भीगे शब्द (चंद्र शेखर आजाद नारलाई, राजसमन्द), बनूं भोर का मधुर गीत (महेन्द्र कुमार कुमावत, नवलगढ़), सारी पीर पराई थी (गीता रावत, चूरू), जैसे बहुत करीब (करीम खान (के.पी. अनमोल), सांचौर), अंतर्मन (शंकरदान, जोधपुर), मखमली आवाज (सुनीता जैन, रूपम, अजमेर), हाइकु कलश (रामबाबू शर्मा, दौसा), घूंघट में सपनें (कंचन राठौड, राजसमंद), हिरण्यगर्भा (संगीता गुप्ता, जयपुर), मंद-मंद मुस्काते फूल (कमला जैन, उदयपुर), शिलान्यास (प्रमोद सनाढ़य, नाथद्वारा) ,पाती (संतोष देवी, जयपुर), जीवन पतंग (सुनील कुमार लोहमरोड सोनू, सादुलपुर), मुस्कुराते शब्दों का आकाश (रंजना माथुर, जयपुर), कविता एक अहसास (कैलाश टांक, बीकानेर), साझी-सांझ की कविता (प्रदीप सिंह चौहान, डूंगरपुर), मन चरखे पर (नीलम पारीक, हनुमानगढ़), बिट्टूके खत (आशा शर्मा, श्रीगंगानगर), भावों की सरगम (यामिनी जोशी, बीकानेर), दहलीज़ के भीतर (प्रकाश चन्द्र गुर्जर, जयपुर), पंच सोपान (मेघना मेहरा, कोटा), मन जीत जा रे (तृप्ति पांडेय, पाली), चेहरों पर उगे प्रश्न (रामरूवरूप भटनागर, सोजतसिटी), गुलदस्ता (गंगाधर शर्मा हिंदुस्तान, अजमेर) मन जमीं पर मानसून (छैलू चारण छेल, बीकानेर), अध रंगे ख़्वाब (राजेन्द्र शर्मा, अलवर), तो गजबण अपने मन की (किरण राठौड़, जयपुर), करारी चोट (कैलाश प्रजापति सुमा’‘, भीम), ये मैं हूं (मनीषा भारद्वाज, बीकानेर), वारसी नाम है मुहब्बत का (शफीक हमदम वारसी’, जयपुर), दिया जलता रहा (महेश पंचोली, कोटा) नीड़ की पीड़ (शांति लाल सोनी, सीकर), सादगी (सुमनजीत कौर, जयपुर), अस्तित्व का आकाश (निन्दनी ंिसह, उदयपुर), ये प्रेम है नवभोर सा (नीलम शर्मा, जयपुर), जिदंगी के रंग (सुनीता निमिष सिंह, उदयपुर),कोहरे के लिपटी सांझ (सोमनाथ शर्मा, करौली), बहती रहो नदी (मुकेश गुप्त राज, दौसा), अतंर का प्रकाश (रेणु वशिष्ठ, जयपुर), धूप और चांदनी (रामनारायण मीणा, कोटा), जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि (विष्णु शर्मा हरिहर, कोटा), विप्लव अनल (मनु प्रताप सिंह, जयपुर), व्यष्टि से समष्टि की ओर (नीलम व्यास, जोधपुर), आशा ही जीवन है (मदन सिंह शेखावत, जयपुर), गंध -वासंत (महेश पंचाल माही’‘, बांसवाड़ा), सच कहा हमने अगर… (संदेश जैन, संदेश, बांसवाड़ा), बातें दिल की (उत्तम महेता उत्तम, बांसवाड़ा), अंधियारे का प्रहरी दीपक (मंगल व्यास, भारती, चूरू), चलता जाए बंजारा (कन्हैयालाल भ्रमर, जयपुर), पतवार तुम्हारी यादें (महावीर सिंह, जोधपुर), शब्दों के झरने (बंशीधर तातेड़, बाड़मेर), रात भर रोती है पत्तियां (प्रमिला शंकर, जोधपुर), सांझ-ओ-सफ़र (सुमन पड़िहार, जोधपुर), अनसुलझे प्रश्नों के हल (निर्मला माथुर, जोधपुर), उम्मीदों के दीये (प्रतिज्ञा भट्ट, डूंगरपुर), महकता-पलाश (मीनाक्षी पंवार, उदयपुर), नींव पर खड़ी कविताएं (सनत जोशी, उदयपुर), कहां हो तुम (गौतम के गट्स, जोधपुर), सनद रहे एवं अन्य कविताएं (कोमल सोनी, जयपुर), अस्तित्व का व्याकरण (दशरथ सिंह सोलंकी, जोधपुर), बीच सफर में (बनवारी लाल खामोश, चूरू), गुलाब के फूल (कल्याण सिंह शेखावत, जयपुर), आरजू (महबूब अली महबूब, टोंक), सृजन के स्वर (कैलाश गिरी गोस्वामी, बांसवाड़ा), रंग बिरंगी बाल कविताएं (अलका जैन आराधना, जयपुर), जज्बात ये मेरे (अब्दुल जब्बर कादरी, बीकानेर), कुछ घर तेरे कुछ घर मेरे (मनीष मनु, अलवर), तुम आओ तो (उपवन पंड्या, उदयपुर), श्री देवनारायण चरित्र (भान सिंह शेखावत, जयपुर), अनुभूति के झरोखे से (बिंदु गुप्ता), तब मिलूंगा (रमेश शर्मा, चित्तौडगढ़), यादें देकर जाऊंगा (तारेश दवे, बांसवाड़ा), तुम हो चित्र सखा (सुधीर बड़ोदिया, उदयपुर), संवेदना का संसार (हरीश सुवासिया, पाली), आसमां मेरा हुआ (मुक्ता तैलंग, बीकानेर), अपने-अपने दर्द (सुधींद्र कुमार शर्मा, चूरू), राजमार्ग की भेडे (मोनिका गौड, बीकानेर)।

(कथा विधा) अनूठा दो अक्टूबर (इंद्रजीत कौशिक, बीकानेर), दो दूनी चार (स्नेहलता शर्मा, चूरू), बालूरेत की दीवारें (नरेंद्र कुमार लाटा, जयपुर), किताब के बहाने (ममता कुमारी, कोटा), प्रतिंिबंब (पूर्णिमा मित्रा, बीकानेर), जन्मदिन, अनुवाद (विप्लव व्यास, बीकानेर), नजीब (सोहनदास वैष्णव, उदयपुर), चिड़कलियां (तारावत्ती सैनी, जयपुर) तालाबन्दी अचौर अन्य कहानियां (अरूण कुमार शर्मा, माउण्ट आबू), उम्भिकिशु (कविता सिहं, जयपुर), नया सवेरा (वंदना पारीक, किशनगढ़), आख्यायिका (अनिल सक्सेना, चित्तौड़गढ़), मधुर मुस्कान (विजय लक्ष्मी नैनावटी, उदयपुर), सपील वाले बाबा (योगेश कुमार पाठक, उदयपुर), मानस आख्या (पायल गुप्ता, अजमेर), हुलसी-चिरमी लिख-पाती (विमला नागला, केकड़ी), अधूरी ख्वाहिशें (शिखा मन मोहन शर्मा, जयपुर), निंबोली (अनामिका प्रवीन शर्मा, जयपुर), माखण (मनोज कुमार चारण, रतनगढ) तथा विविध विधा में गुलेरी की गलियों से गुजरते हुए (हरिमोहन सारस्वत, सूरतगढ)़, 1857 और बहादुर शांह जफर (निया उल हसन कादरी, बीकानेर), जीवन शिक्षा और मूल्य (संग्राम सिंह लोढ़ा, बीकानेर) अपने पन का भान चाहिए (संदीप जोशी, जलौर), नवाब फेंकाबादी (श्याम सुन्दर भारती, जोधपुर), भारतीय संत परंपरा और साहित्य (ममता जोशी, उदयपुर), पनघट (शिवनाथ सिंह, सीकर), भारतीय एवं पाश्चात्य साहित्य शास्त्र (समीक्षा व्यास, बीकानेर), लौट आई मिस धवल कुमारी (शैलेन्द्र सरस्वती, बीकानेर), हिंदी आलोचना का नया गद्य (ललित कुमारी श्रीमाली, उदयपुर), जलन से जल तरंग (राम शर्मा, कापरेन, कोटा) पांडुलिपियों पर सहयोग दिए जाने की घोषणा की गई है।

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