अभिनव न्यूज, बीकानेर। रविवार को महाराजा नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में बीकानेर के तीन पीढ़ी के शाइर एक से बढ़कर एक कलाम से माहौल को अदबी बना रहे थे। मौका था राजस्थान उर्दू अकादमी की ओर से शुरू की गई अदबी नशिस्त का। इस श्रृंखला में बीकानेर में पहली बार आयोजित की गई इस संगोष्ठी में उर्दू में लिखने वाले नौजवान एवं वरिष्ठ शाइर एक मंच से अपना कलाम पढ़कर सामइन से दाद ले रहे थे।
इस अदबी नशिस्त की अध्यक्षता बुजुर्ग शाइर मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शाइर जाकिर अदीब और विशिष्ट अतिथि गुलाम मोहियुद्दीन ‘माहिर’ थे। उर्दू अकादमी के सदस्य एवं प्रोग्राम कन्वीनर शाइर इरशाद अज़ीज़ ने बताया कि उर्दू अदब को बढ़ावा देने के लिए अकादमी अध्यक्ष हुसैन रज़ा खान की अगुवाई में पूरे राजस्थान में ऐसे अदबी कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू किया है। कार्यक्रम के आरंभ में संजय आचार्य ‘वरुण’ ने इस्तकबाल करते हुए कहा कि शीरीं जुबां उर्दू को आम जन से जोड़ने के लिए अकादमी अध्यक्ष हुसैन रज़ा खान के प्रयास सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि बीकानेर में उर्दू अदब की एक गौरवशाली परम्परा रही है। उर्दू अकादमी के सदस्य और शाइर असद अली असद ने कहा कि यह अकादमी का बेहतरीन कदम है, इससे शाइरों को एक प्रतिष्ठित मंच मिला है। इस नशिस्त का संचालन करते हुए उर्दू अकादेमी के सदस्य और प्रोग्राम कनवीनर इरशाद अज़ीज़ ने कहा कि अकादेमी की तरफ से मासिक अदबी नशिस्त की शुरूआत इस बात की दलील है के अकादमी उर्दू अदब और अदीबों के लिए ऐसे ही बेहतरीन काम करते हुए नौजवान शायरों को आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध करती रहेगी।
उन्होंने कहा अकादेमी चैयरमैन हुसैन रज़ा ख़ान ऐसी अदबी नशिस्तों के साथ ही उर्दू गद्यकारों के लिए सेमिनारों का भी आयोजन करने जा रहे हैं । इस नशिस्त में मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी, गुलाम मोहियुद्दीन ‘माहिर’, जाकिर अदीब, इरशाद अज़ीज़, असद अली असद, बुनियाद ज़हीन, वली मोहम्मद ग़ौरी, डॉ. जियाउल हसन क़ादरी, मुफ्ती अशफाक उल्लाह ‘उफक’, सागर सिद्दीकी, इम्दादुल्लाह बासित, संजय आचार्य ‘वरुण’, क़ासिम बीकानेरी, अब्दुल जब्बार जज्बी, मोइनुद्दीन मोईन और गुलफाम हुसैन आही ने अपने बेहतरीन कलाम पेश किए। कार्यक्रम के अंत में डॉ. जियाउल हसन क़ादरी ने सबका शुक्रिया अदा किया।