अभिनव टाइम्स | कर्ज के दलदल में फंसा पाकिस्तान तेजी से दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। फॉरेन रिजर्व एक अंक में पहुंच गया है। 27 मई को फॉरेन रिजर्व महज 9.72 अरब डॉलर ही रह गए। इससे भी बड़ी दिक्कत यह है कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने अब तक कर्ज की तीसरी किश्त को हरी झंडी नहीं दी है। रही सही कसर दोस्त मुल्कों ने पूरी कर दी। UAE, सऊदी अरब और चीन चाहते हैं कि पहले IMF पाकिस्तान का कर्ज मंजूर करे, फिर वो कुछ मदद कर पाएंगे।
नई रिपोर्ट से हकीकत उजागर
‘ब्लूमबर्ग’ वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान के हुक्मरान इकोनॉमी संभालने के मामले में बिल्कुल बेबस नजर आ रहे हैं। उनकी आखिरी उम्मीद IMF है। परेशानी यह है कि अब तक IMF ने भी कर्ज को हरी झंडी नहीं दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 27 मई को सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट जारी हुई और इसमें बताया गया है कि कुल फॉरेन रिजर्व 9.72 अरब डॉलर ही बचे हैं। एक हफ्ते में यह 3.6 करोड़ कम हुए। खास बात ये है कि अब तो एक हफ्ता और गुजर चुका है और IMF ने किश्त जारी नहीं की है। लिहाजा, ये माना जा सकता है कि 9.72 अरब डॉलर का आंकड़ा अब और भी कम हो चुका होगा।
अगस्त के बाद आधा हुआ खजाना
अगस्त के बाद फॉरेन रिजर्व करीब आधे हो चुके हैं। अब हालात ये हैं कि पाकिस्तान सरकार सिर्फ चार हफ्ते का इम्पोर्ट बिल ही अफोर्ड कर सकती है। 13 पार्टियों के गठबंधन वाली शाहबाज शरीफ सरकार ने इमरान खान को हटाकर सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन खान जाते-जाते उसके लिए जाल फैला गए और वो इसमें फंसती चली जा रही है। इमरान ने जाते वक्त फ्यूल रेट्स 10 रुपए प्रति लीटर कम कर दिए। 6 दिन में शरीफ सरकार को 60 रुपए प्रति लीटर रेट बढ़ाने पड़े। बिजली प्रति यूनिट 8 रुपए महंगी कर दी गई। महंगी कारों समेत 30 लग्जरी आयटम्स के इम्पोर्ट पर बैन लगा दिया गया। इन इंतजामों के बावजूद फॉरेन रिजर्व खत्म हो रहा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इकोनॉमी सर्वे एजेंसी ‘फिच सॉल्यूशन’ के एशिया हेड राफेल मोक कहते हैं- शरीफ सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वो ऊंट के मुंह में जीरा समान हैं। सबसे पहले तो टैक्स कलेक्शन सुधारना होगा। इसके बाद सब्सिडी खत्म करनी होंगी। टैक्स कलेक्शन तब तक नहीं सुधर सकता जब तक सरकार और तमाम जिम्मेदार एक साथ नहीं आते।
दोस्तों की शर्तें भी खतरनाक
गुरुवार को खबर आई कि चीन 2.3 अरब डॉलर कर्ज देने जा रहा है। कुछ ही देर में साफ हो गया कि यह फॉरेन डिपॉजिट होगा, कर्ज नहीं। ठीक वैसे ही, जैसे पिछले साल सऊदी अरब ने 2.5 अरब डॉलर दिए थे और यह अब भी पाकिस्तान के पास हैं। इसके साथ शर्त यह है कि 48 घंटे के नोटिस पर सऊदी सरकार यह पैसा वापस ले सकती है। दूसरी बात, पाकिस्तान सरकार इस पैसे को खर्च नहीं कर सकती। इसलिए यह सिर्फ क्रेडिट बनाए रखने के लिए दिया गया डिपॉजिट है।