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Saturday, November 23

डेथ एनिवर्सरी: एक थप्पड़ खाया तो मिल गई पहली फिल्म, 24 साल में शुरू किया RK स्टूडियो, फिल्म बनाने के लिए गिरवी रखा था घर

अभिनव टाइम्स | बॉलीवुड के शोमैन कहे जाने वाले राज कपूर को गुजरे आज पूरे 44 साल बीत चुके हैं। राज कपूर, पृथ्वीराज कपूर और रामसरणी मेहरा के 6 बच्चों में सबसे बड़े थे। राज, फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखते थे, जिससे अभिनय उनके खून में था। महज 10 की उम्र में राज कपूर पहली बार इंकलाब फिल्म में नजर आए, वहीं इनका पहला लीड रोल 1947 की नील कमल में रहा। महज 24 साल की उम्र में राज कपूर ने आरके स्टूडियो शुरू कर बड़ी मिसाल कायम की। ये अपने जमाने के सबसे यंग डायरेक्टर हुआ करते थे।

राज कपूर ने अपने फिल्मी करियर में 3 नेशनल अवॉर्ड, 11 फिल्मफेयर समेत कई बड़े अवॉर्ड अपने नाम किए, लेकिन फिल्म जगत का सबसे गौरवशाली अवॉर्ड दादा साहेब फाल्के लेते हुए ही उनकी तबियत ऐसी बिगड़ी की कभी सुधर नहीं पाई। राज ने अपने बच्चों को इंडस्ट्री में जगह दिलाने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। कई बार बर्बाद भी हुए लेकिन हार नहीं मानी। आज इनकी 44वीं पुण्यतिथि पर आइए जानते हैं इनके खूबसूरत और मिसाल कायम करने वाले सफर से जुड़ी खास बातचीत-

सृष्टि नाथ कपूर था राज कपूर का असली नाम

राज कपूर का जन्म 14 दिसम्बर 1924 को पेशावर में हुआ था, जो भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद अब पाकिस्तान का हिस्सा है। ये पृथ्वीराज कपूर और रामसरणी मेहरा की पहली संतान थे जिन्हें जन्म के समय सृष्टि नाथ कपूर नाम दिया गया था। जब पृथ्वीराज हीरो बनने बॉम्बे (मुंबई) पहुंचे तो पूरा परिवार उनके साथ आ गया।

राज कपूर पिता के साथ फिल्मों के सेट पर जाया करते थे। जब फिल्म इंकलाब में एक बच्चे की जरुरत पड़ी तो राज कपूर को ये रोल दिया गया। चाइल्ड आर्टिस्ट बनने के बाद राज कपूर जैसे ही बड़े हुए तो सेट पर छोटे- मोटे काम करने लगे। राज कपूर पिता के कहने पर डायरेक्टर केदार शर्मा के लिए क्लैप बॉय बनकर काम करने लगे। राज सेट पर ज्यादा से ज्यादा समय अपने बाल संवारने में लगा दिया करते थे। उनकी कोशिश रहती थी कि क्लैप देते हुए वो सीन में दिख जाएं। एक दिन विषकन्या के सेट पर सीन में नजर आने के लिए राज ने इतने करीब से क्लैप दी कि एक्टर की दाढ़ी क्लैप बोर्ड में फंसकर निकल गई।

डायरेक्टर इतना नाराज हुए उन्हें जोरदार थप्पड़ मार दिया। राज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप काम में लग गए। इस बात से केदार को इतना बुरा लगा कि उन्होंने अगले ही दिन राज को बुलाकर नील कमल में हीरो बना दिया।

पहली फिल्म मिलने पर खूब रोए थे राज कपूर

जैसे ही केदार शर्मा ने उन्हें फिल्म में हीरो का रोल ऑफर किया तो वो फूट-फूटकर रोने लगे। केदार शर्मा ने पूछा, अरे मैंने तो तुम्हें कल थप्पड़ मारा था, तो आज क्यों रो रहे हो। राज ने कहा- मुझे पहली बार किसी ने हीरो बनाया है, इसलिए रो रहा हूं। नीलकमल फिल्म में राज के साथ मधुबाला लीड रोल में थीं। ये फिल्म जबरदस्त हिट हुई और राज कपूर को पहचान मिल गई। राज कपूर, चार्ली चैप्लिन की तरह अभिनय किया करते थे। उनका स्टाइल भारत में इतना मशहूर हुआ कि उन्हें भारत का चार्ली चैप्लिन कहा जाने लगा।

24 साल की उम्र में शुरू किया आरके स्टूडियो

पहली फिल्म नीलकमल की रिलीज के एक साल बाद ही राज कपूर ने आरके स्टूडियो शुरू किया। ये उस जमाने के सबसे यंग डायरेक्टर थे जिन्होंने आग (1948) से डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था, ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर सकी।

नाटक मंडली लेकर रीवा पहुंचे तो हो गई शादी

12 मई 1946 में राज कपूर की शादी रीवा के आईजी करतार नाथ की बेटी से हुई थी। दरअसल, पृथ्वीराज कपूर बेटों के साथ रीवा में नाटक करने पहुंचे थे। यहां उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी करतार नाथ को मिली। साथ रहते हुए दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हुई कि दोनों ने तुरंत अपने बच्चों राज और कृष्णा की शादी करवा दी। इनके 5 बच्चे रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, राजीव कपूर, ऋतु, रीमा हुए।

नरगिस से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और झगड़ा

राज कपूर और नरगिस ने बरसात, अंदाज, आवारा, श्री 420 जैसी 16 फिल्मों मं साथ काम किया। दोनों प्रमोशन के लिए दुनियाभर की यात्राएं किया करते थे। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं। नरगिस राज से शादी करना चाहती थीं, लेकिन राज पत्नी कृष्णा को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। एक दिन दोनों ने वैकेशन पर जाने की प्लानिंग की। नरगिस पहुंच गईं, लेकिन राज नहीं आए। गुस्से में जब नरगिस, राज के घर पहुंचीं तो देखा घर में पार्टी चल रही है। राज को ढूंढते हुए जैसे ही नरगिस उनके बेडरूम में पहुंची तो देखा राज पत्नी को हाथों से हार पहना रहे हैं। ये देखकर नरगिस बुरी तरह टूट गईं और घर लौट आईं। ये वही नरगिस थीं जिन्होंने आरके स्टूडियो को बचाने के लिए अपने सोने के कड़े बेच दिए थे।

मेरा नाम जोकर फिल्म से कंगाल हो गए थे राज कपूर

राज कपूर ने अपने सारे पैसे लगाकार मेरा नाम जोकर फिल्म बनाई। फिल्म को बनने में 6 साल लग गए तो बजट भी तय राशि से काफी ज्यादा लगाना पड़ा। फिल्म पूरी करने के लिए राज कपूर ने अपना घर तक गिरवी रख लिया और लोगों से पैसे उधार लिए। फिल्म रिलीज हुई तो बुरी तरह फ्लॉप हो गई। 4 घंटे की इस फिल्म में दो इंटरवल रखे गए थे। राज कर्जे में डूब गए थे, जिससे उन्हें गहरा सदमा लगा था।

बॉबी फिल्म से कर्जा उतार सके थे राज

मेरा नाम जोकर से कर्जे में डूबे राज कपूर ने दोबारा उधार लेकर बेटे ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया को लेकर बॉबी फिल्म बनाई। राज के पास पैसे नहीं थे तो प्राण नाथ ने फिल्म के लिए महज 1 रुपए फीस ली। फिल्म जबरदस्त हिट हुई और राज कपूर का करियर फिर पटरी पर आ गया।

बॉबी फिल्म की शूटिंग के दौरान पाकिस्तान से आई थी जलेबियां

बॉबी फिल्म के शूटिंग के लिए राज कपूर को भारत-पाक बॉर्डर पर जाना था, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। राज ने सैनिकों से कहा, कमांडर से कहो राज कपूर आए हैं। कमांडर पहुंचे तो उन्होंने राज का स्वागत किया और उनके लिए गाड़ियों और नाश्ते का इंतजाम किया। जब रवाना होने का टाइम हुआ तो भारत के सैनिकों ने कहा कि थोड़ी देर और रुकिए क्योंकि पाकिस्तान के कुछ सैनिक आपसे मिलने आ रहे हैं। पाक के सैनिक दो गाड़ियों में भरकर आए और साथ ही पाकिस्तान की जलेबियां और मिठाइयां लेकर आए।

प्रॉफिट नहीं मिला तो डिस्ट्रीब्यूटर को कर दिया नंगा

राज कपूर की फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूटर बाबू हुआ करते थे। जब बॉबी हिट हुई तो बाबू ने राज कपूर को पैसे नहीं तो राज कपूर देर रात गुस्से में उनके घर पहुंच गए। घर में बाहर जोर-जोर से नाम पुकारा तो बाबू लुंगी में ही बाहर आ गए। ये तमाशा देखने पड़ोसियों की भी भीड़ लग गई। राज ने कहा, कहां हैं मेरे पैसे। जवाब मिला-मेरे पास सुरक्षित हैं। राज ने फिर कहा, तुम्हारे पास क्यों हैं, मेरे पास क्यों नहीं। तुम्हें उसे रखने का क्या हक। बाबू ने जब अगले दिन पैसे देने की बात कही तो राज ने उनकी लूंगी उतार ली और कहा- कल पैसे लेकर आना और अपनी लुंगी ले जाना।

खाने-पीने के शौकीन लेकिन एडिंटिंग के समय कर देते थे सब त्याग

राज कपूर के खाने का शौक किसी से छिपा नहीं है। कभी पाव में जलेबी और बटर लगाकर खाते थे तो कभी सेट पर दावतें करवा दिया करते थे। शादी में नॉनवेज ना होने पर राज कपूर असिस्टेंट राहुल रवैल से नाराज भी हो गए थे। लेकिन जब उन्हें फिल्मों की फाइनल एडिटिंग करनी होती थी तो वो पूरी तरह से शाकाहारी हो जाते थे और शराब को हाथ तक नहीं लगाते थ।

11 साल पहले ही बना लिया था राम तेरी गंगा मैली का गाना

एक दिन राहुल रवैल से घर से निकलते हुए राज कपूर कुत्तों के साथ खेलने सड़क में उतर गए। ड्राइवर को घर भेज दिया। जब राहुल को इस बात की खबर लगी तो वो खुद राज कपूर को ढूंढने निकल गए। राज बस स्टॉप पर खड़े रात के करीब 3 बजे बस का इंतजार कर रहे थे। राहुल ने जब गाड़ी में बैठने की जिद की तो राज नाराज हो गए और उन्हें भगा दिया। कुछ समय बाद राहुल फिर पहुंचे तो देखा राज साहब वहां नहीं थे। गाड़ी घर की तरफ दौड़ाई तो देखा राज कपूर एक टैक्सी की फ्रंट सीट में ड्राइवर और एक पैसेंजर के कंधे पर हाथ रखकर बीच में बैठे हैं। उस समय वो एक गाना गुनगुना रहे थे। बोल थे- सुन साहिबा सुन प्यार की धुन। यही गाना राज कपूर ने 11 साल बाद अपनी फिल्म राम तेरी गंगा मैली में लिया।

सत्यम शिवम सुंदरम में जीनत को कास्ट करते हुए दिए थे सोने के सिक्के

राज कपूर ने फिल्म वकील बाबू की शूटिंग के दौरान ही सत्यम शिवम सुंदरम फिल्म लिखी थी। शूटिंग के दौरान राज अकसर एक्ट्रेस जीनत अमान से इस फिल्म और उसकी हीरोइन रूपा का जिक्र किया करते थे। जीनत रूपा के कैरेक्टर से इनती प्रभावित हुईं कि उन्होंने फिल्म करने की ठान ली। एक दिन जीनत रूपा की तरह साड़ी पहनकर और टिशू पेपर से जला चेहरा बनाकर राज कपूर के टेंट पर पहुंच गईं। राज कपूर पहचान नहीं सके। उन्होंने कहा कौन है तो जवाब मिला- रूपा। राज उनका लुक देखकर ऐसे इंप्रेस हुए कि तुरंत पत्नी कृष्णा को कॉल कर कहा- देखो इस लड़की ने क्या कर दिया। राज की बात सुनकर कृष्णा सोने के सिक्के लेकर सेट पर पहुंची) और राज ने वो सिक्के जीनत को दे दिए।

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