अभिनव न्यूज
जयपुर। प्रशासन शहरों के संग अभियान में जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। नगर निगम ग्रेटर जयपुर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जेडीए से पहले से जारी पट्टे के बाद भी नगर निगम के अधिकारियों ने दूसरा पट्टा जारी कर दिया। बकायदा उस पट्टे पर मेयर सौम्या गुर्जर, डिप्टी कमिश्नर प्लानिंग के हस्ताक्षर है।
शिकायत जब मेयर और डिप्टी कमिश्नर को मिली तो उन्होंने पट्टे पर जारी हस्ताक्षर खुद के होने नहीं बताए हैं। ऐसे में अब नगर निगम प्रशासन में इस पट्टे को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। इधर नगर निगम प्रशासन ने अब जेडीए से रिकॉर्ड मंगवाया है, ताकि ये देख सके कि इस प्लाट का पहला पट्टा क्या सही में जेडीए से जारी हुआ है या नहीं।
ये पूरा मामला निवारू रोड स्थित डिफेंस कॉलोनी के भूखण्ड संख्या 40 का है। मोती भवन निर्माण सहकारी समिति की बसाई इस कॉलोनी में प्लाट नं. 40 सबसे पहले ले. कर्नल रविन्द्र कुमार के नाम सितम्बर 1991 में जारी हुआ था। उसके बाद इस प्लाट का दो बार बेचान हुआ और साल 2007 में जेडीए ने आखिरी खरीददार शांति देवी के नाम से इस प्लाट का पट्टा जारी कर दिया। इस प्लॉट को बाद में मधु अग्रवाल ने साल 2007 में ही खरीद लिया और नाम ट्रांसफर करवा लिया।
मार्च 2023 में जारी हुआ पट्टा
नगर निगम ग्रेटर ने विकास शर्मा के नाम से 3 मार्च 2023 इसी भूखण्ड का फ्री होल्ड पट्टा जारी कर दिया। बड़ी बात ये है कि पट्टा जारी करने के लिए डिस्पेच रजिस्टर में एंट्री होती है वो तो है, लेकिन मूल फाइल जिसमें आवेदन और अन्य दस्तावेज होते है वह प्लानिंग शाखा में नहीं है। ऐसे में नगर निगम कमिश्नर महेन्द्र सोनी ने इस पूरे मामले की जांच शुरू करवा दी।
जेडीए से मांगी रिपोर्ट
इधर नगर निगम प्रशासन ने पत्र लिखकर जेडीए के जोन 7 उपायुक्त से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी। नगर निगम अधिकारियों के पास इस प्लॉट की मूल फाइल नहीं है। निगम अधिकारी ये जांच करवाना चाहते थे कि क्या जेडीए से इस प्लाट का पट्टा जारी हुआ है या नहीं। इस पर जेडीए के जाेन 7 उपायुक्त ने प्लॉट की मूल फाइल दोपहर बाद नगर निगम भिजवाई, जिसमें 2007 में शांति देवी के नाम से पट्टा जारी होना बताया है।
जेडीए से रिकॉर्ड ट्रांसफर, लेकिन प्लाट की फाइल और लिस्ट से नंबर गायब
इस कॉलोनी को जेडीए ने पिछले कुछ साल पहले नगर निगम को ट्रांसफर करते हुए पूरा रिकॉर्ड ट्रांसफर किया था। इस रिकॉर्ड में कॉलोनी की जो सूची जेडीए से आई है उसमें इस प्लाट का जिक्र ही नहीं है और न ही प्लॉट की फाइल जेडीए से नगर निगम को मिली है। ऐसे में इसे लेकर भी नगर निगम के अधिकारी हैरान है।