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बीकानेर: माननीय मुख्यमंत्री जी के ओएसडी लोकेश जी शर्मा के दो दिवसीय बीकानेर दौरे पर सर्किट हाउस में राजस्थानी मोट्यार परिषद ने अशोक गहलोत फैन्स क्लब के प्रदेश अध्यक्ष भाई ऋषि व्यास के नेतृत्व में मुलाकात कर उनका स्वागत एवं अभिनन्दन किया। राजस्थानी मोट्यार परिषद के बीकानेर संभाग सलाहाकार रामावतार उपाध्याय ने लोकेश जी शर्मा को बताया की राजस्थान सरकार राजस्थानी भाषा को सभी भर्तियों में लागु करे जिससे बाहरी कोटा अपने-आप तय हो जायेगा जिससे राजस्थान के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे।
कोषाध्यक्ष राजेश चौधरी ने कहा कि आरपीएससी की स्कूल व्याख्यता भर्ती में राजस्थानी विषय के सभी पद जल्द से जल्द भरें जायें एवं नव-क्रमोन्नत काॅलेजों एवं स्कूलों में राजस्थानी विषय अतिरिक्त विषय के रूप में दिया जाए।
राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश सचिव प्रशान्त जैन ने कहा कि हमारे संगठन मोट्यार परिषद के अथक प्रयासों से वर्तमान विधानसभा के 200 में से 160 से अधिक विधायक एवं मंत्री महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी को राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने के लिए राजस्थान के सभी 33 के 33 जिलों के विधायक-गण अपने लैटर-पैड पर पत्र लिख चुकें हैं एवं 2003 में माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत साब के नेतृत्व में ही सर्व-सहमति से संकल्प-प्रस्ताव पारित किया गया था, फिर राज्य सरकार राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने में क्यों देरी कर रही है???? राज्य सरकार चाहे तो अनुच्छेद 345 के तहत हमारी मातृभाषा राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दे सकती है।
भरत चारण ने कहा कि सरकार चाहे तो तुरंत प्रभाव से भाषा एक्ट,1956 के तहत राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दे सकती है। माननीय लोकेश जी शर्मा ने सभी बातों को गंभीरता से सुनकर बताया कि आपकी मांग गंभीर एवं सराहनीय है। राजस्थान सरकार राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने के मसले पर गंभीरता से विचार कर रही है।
राजस्थान के सभी युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही राजभाषा बनाने के लिए फैसला लेगी। मैं आपकी बात को माननीय मुख्यमंत्री जी से गंभीरता से रखुंगा एवं समाधान का पुरा प्रयास करूंगा। ओएसडी लोकेश जी शर्मा के स्वागत एवं अभिनन्दन हेतु
राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधि-मंडल में राजेश चौधरी, प्रशान्त जैन, रामावतार उपाध्याय, भरत दान, हिमांशु टाॅक, कमल मारू, मुकेश रामावत, सरजीत सिंह, भगवानाराम, राजेश कड़वासरा, मुकेश सिंढ़ायच, मदन दान दासुड़ी, दिलीप उपाध्याय, कैलाश बीठू, इन्द्र गालरिया, मोहन गेधर आदि शामिल थे।