अभिनव टाइम्स | देश के लोगों को गर्मी से जल्द ही निजात मिल सकेगी। मानसून विभाग यानी IMD ने बताया है कि केरल में मानसून ने रविवार को दस्तक दे दी है। मानसून अमूमन देश में 1 जून को प्रवेश करता है, लेकिन इस बार यह 2 दिन पहले ही आ गया है। हालांकि, माैसम विभाग ने इस बार केरल में 27 मई को ही मानसून के आने की संभावना जताई थी।
मध्य प्रदेश में मानसून के 15 जून तक पहुंचने की संभावना है। भोपाल में इंदौर में यह 18 जून तक पहुंचेगा। राजस्थान में 20 जून तक आने की संभावना है।
जानिए आपके राज्य में कब आएगा मानसून
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि केरल में मानसून छा गया है। एक हफ्ते तक मानसून की रफ्तार धीमी रहेगी, लेकिन 6 से 10 जून के बीच मानसून फिर रिकवर होगा। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में मानसून 15 जून तक दस्तक दे देगा। भोपाल और इंदौर में 18 जून तक आने की संभावना है। राजस्थान में मानसून के 20 जून तक मानसून के दस्तक देने की संभावना है।
मानसून होता क्या है?
एक क्षेत्र में चलने वाली हवाओं की दिशा में मौसमी परिवर्तन को मानसून कहते हैं। इस वजह से कई बार बारिश भी होती है या कई बार गर्म हवाएं भी चलती हैं।
भारत के संदर्भ में देखा जाए तो हिंद महासागर और अरब सागर से ये हवाएं भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आती हैं। ये हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बढ़ते हुए अपने साथ पानी वाले बादल भी लाती हैं, जो भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भी बारिश करवाते हैं। भारत में जून से सितंबर तक मानसूनी हवाएं चलती रहती हैं।
मानसूनी हवाएं बनती कैसे हैं?
गर्मी के दिनों में जमीनी इलाकों की गर्म हवा ऊपर उठने लगती है, इस वजह से जमीनी इलाकों में लो प्रेशर एरिया बनने लगता है। इसके विपरीत समुद्र में हाई प्रेशर एरिया बनने लगता है, क्योंकि जमीन के मुकाबले वहां ठंड ज्यादा होती है। समुद्र की ये हवा लो प्रेशर इलाकों यानी जमीन की तरफ बढ़ने लगती है। ये हवाएं अपने साथ समुद्र की नमी भी ले आती हैं। इन्हें ही मानसूनी हवाएं कहा जाता है।
भारत में ये हवाएं 2 दिशाओं से आती हैं। दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व। हवाओं की दिशा के आधार पर ही दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी मानसून कहा जाता है। 15 सितंबर से मानसून भारत के उत्तर पश्चिम भागों से विदा लेना शुरू करता है तथा 15 अक्टूबर तक मानसून पूरी तरह विदा हो जाता है।
क्या मानसून से बस भारत में ही बारिश होती है?
नहीं। दुनिया की करीब 60% आबादी मानसून से होने वाली बारिश वाले इलाकों में रहती है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका जैसे महाद्वीप भी शामिल हैं। भारत में भी जो मानूसन आता है उससे केवल भारत ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश होती है।
बारिश को मापते कैसे हैं?
1662 में क्रिस्टोफर व्रेन ने ब्रिटेन में पहला रेन गॉग बनाया था। यह एक बीकर या ट्यूब के आकार का होता है जिसमें रीडिंग स्केल लगा होता है। इस बीकर पर एक फनल होती है, जिससे बारिश का पानी इकट्ठा होकर बीकर में आता है। बीकर में पानी की मात्रा को नापकर ही कितनी बारिश हुई है ये पता लगाया जाता है। ज्यादातर रेन गॉग में बारिश मिलीमीटर में मापी जाती है।
मानसून या मौसम से जुड़ी जानकारी के लिए आप मौसम विभाग की वेबसाइट https://mausam.imd.gov.in को चेक कर सकते हैं। इसके साथ ही मेघदूत, दामिनी, उमंग और रेन अलार्म जैसी एप पर भी आप मौसम की जानकारी चेक कर सकते हैं। मौसम विभाग ने किसानों को SMS अलर्ट की सुविधा भी दी है।