अभिनव न्यूज
जयपुर: जयपुर के जगतपुरा स्थित एक निजी हॉस्पिटल के डायरेक्टर और सीनियर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ माथुर की बैडमिंटन खेलने के बाद हार्ट अटैक से मौत हो गई। अटैक आने से जयपुर में पिछले सात दिन में दूसरे डॉक्टर की माैत हुई है। इससे पहले सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के खेल ग्राउंड में क्रिकेट खेलने के दौरान डॉक्टर अरूण गर्ग की जान गई थी।
डॉ. माथुर गुरुवार सुबह रोज की तरह बैडमिंटन खेलने जगतपुरा स्थित एक निजी एकेडमी गए थे। यहां से घर आने के बाद उन्हें सीने में दर्द हुआ तो उन्होंने घरवालों को बताया। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, सीपीआर दिया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। डॉ. माथुर राजस्थान स्पॉर्टस काउंसिल और जयपुर डॉक्टर्स वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित स्पोट्र्स इंजरी सेंटर पर भी अपनी सेवाएं देते थे।
जेनेटिक प्रोबल के साथ पोस्ट कोविड इफेक्ट भी
जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया- हार्ट अटैक आना एक जेनेटिक प्रॉब्लम भी है, लेकिन कोविड के बाद से कई लोगों में ये केस देखने को मिल रहे हैं। थ्रोम्बोसिस (ब्लड में थक्का जमना) के कारण आर्टरी ब्लॉक हो जाती है।
ये अचानक से तब पता चलता है, जब आदमी खेलता-कूदता, दौड़ता, नाचता है। उसका ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इसलिए अक्सर जिम करते समय, नाचते समय या खेलते समय लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं। थ्रोम्बोसिस के कारण ही ब्रेन स्ट्रोक के केस भी बढ़ रहे हैं।
इसलिए हो जाती है जल्दी डेथ
डॉ. अरुण गर्ग और डॉ. सौरभ माथुर, दोनों डॉक्टरों को दर्द होने पर समय पर हॉस्पिटल ले जाया गया था, क्योंकि जहां ये घटना हुई वहां से हॉस्पिटल कुछ ही दूरी पर थे। इसके बावजूद हॉस्पिटल पहुंचने तक दोनों डॉक्टरों की डेथ हो गई।
इस मामले पर डॉ. माहेश्वरी का कहना है कि डेथ के पीछे सबसे बड़ा कारण हार्ट का नॉर्मल पंप न होना है। कई बार हार्ट ज्यादा तेजी से धड़कने लगता है तो कई बार उसकी गति सामान्य से बहुत कम हो जाती है। इस कारण इंसान की तुरंत मौत हो जाती है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर माथुर के केस में भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
स्टेरॉयड और फूड सप्लीमेंट्स भी एक कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक जिम में कई युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के केस देखने को मिल रहे हैं। उनमें हार्ट फेल होने के पीछे एक बड़ा कारण स्टेरॉयड और फूड सप्लीमेंट्स बन रहा है। यूथ में मस्कुलर बॉडी बनाने का क्रेज बढ़ा है। वे जिम इंस्ट्रक्टर के दिए स्टेरॉयड और फूड सप्लीमेंट्स ले रहे हैं। जो क्लीनिकल अप्रूड नहीं होते। शरीर को फायदा देने के बजाय नुकसान पहुंचाते हैं। इसके कारण भी युवाओं में तेजी से हार्ट के केस बढ़ रहे हैं।
ये एक जेनेटिक बीमारी भी
कई ह्रदय रोग विशेषज्ञ हार्ट अटैक को एक जेनेटिक बीमारी भी मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी परिवार में अगर हार्ट की कभी कोई बीमारी रहती है तो उसका असर आने वाली पीढ़ी पर देखने काे मिलता है। ऐसे में अगर आपकी फैमिली हिस्ट्री में किसी को हार्ट संबंधी बीमारी है तो आपके बच्चों को अधिक जोखिम हो सकता है।
रोज आ रहे हैं 45 केस, आधे 40 से कम उम्र के
जयपुर में रोज 45 से अधिक केस हार्ट अटैक के आ रहे हैं। इनमें भी 40 साल से कम उम्र के 15-20 लोग होते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार सबसे अधिक खतरा मानसिक तनाव रखने वाले व्यक्तियों को है। वहीं उन युवाओं और लोगों में भी अटैक का खतरा बढ़ा है, जिन्हें कोविड हुआ था। ऐसा पहली बार है कि बिना विशेष कारणों के आर्टरी में थ्रोम्बोसिस बन रहा है।
अब तक इन डॉक्टर्स ने हार्ट अटैक से गंवाई जान
डॉ. सौरभ माथुर, सीनियर ऑर्थो सर्जन: अस्पताल जाने से पहले सुबह के सभी दैनिक काम किए। बैडमिंटन खेलने के बाद अचानक अटैक आया और डेथ हाे गई।
डॉ. अरुण गर्ग, एमडी, मेडिसिन: रोजाना तीन किलोमीटर तक घूमते, खेलते थे। एसएमएस मेडिकल कॉलेज ग्राउंड में खेलते समय अचानक हार्ट अटैक आया, 4 मिनट में मौत हो गई।
डॉ. जितेन्द्र, फिजिशियन: युवा थे, घर पर ही अटैक आया और अस्पताल में डेथ हो गई।
डॉ. राजाराम: रात को सोए, सुबह मृत मिले। सामने आया कि रात को साइलेंट हार्ट अटैक आया था।
डॉ. आरके गुप्ता: ब्रेन स्ट्रोक आया, सर्जरी करनी पड़ी। पिछले 17 दिन से अधिक समय से आईसीयू में हैं।