अभिनव टाइम्स | राजस्थान में नौतपा से ठीक पहले तापमान में भारी गिरावट ने आम आदमी को राहत दी है। वहीं, किसान के चेहरे पर चिंता की लकीर खींच दी हैं। मान्यता है कि नौतपा में सूरज जमकर नहीं तपेगा तो मानसून कमजोर रहेगा। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक बुधवार दोपहर 2.50 बजे नौतपा शुरू हो गया। जो दो जून तक जारी रहेगा। वहीं, राजस्थान के 8 जिलों में अगले 24 घंटे बारिश और ओले गिरने की संभावना है।
नौतपा से ठीक पहले मंगलवार को राज्य के 34 मौसम केंद्रों में से 28 में पारा चालीस डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा। पश्चिमी राजस्थान में जहां सूर्यदेव का ग्राफ 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, वहां भी पारा लुढ़क गया। सबसे ज्यादा गर्म रहने वाले चूरू में तो महज 34 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। ऐसे में अगले कुछ दिन में चूरू में वापस 45 डिग्री सेल्सियस तापमान होना मुश्किल है।
इसके लिए सूर्यदेव को अपनी तीव्रता में 11 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी करनी होगी, जो आमतौर पर नहीं होती। इसी प्रकार पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर में महज 37 डिग्री सेल्सियस, श्रीगंगानगर में 35.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रहा। वहीं, जोधपुर और बाड़मेर में 42 डिग्री सेल्सियस से थोड़ा कम रहा।
क्या कहते हैं ज्योतिष? बीकानेर के ज्योतिषाचार्य हरिनारायण व्यास का कहना है कि अच्छा मानसून तब आता है, जब नौतपा में सूर्य जमकर तपता है। अगर सूर्य की तपन कम होती है और बारिश होती है तो इसे नौतपा का गलन कहते हैं। इसका सीधा असर मानसून पर पड़ता है। आने वाले नौ दिनों में तय होगा कि इस बार मानसून कैसा रहेगा।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे टोंक, बूंदी, सवाई माधोपुर ,कोटा,बारां, झालावाड़ तथा आसपास के क्षेत्रों मे कहीं-कहीं आकाशीय बिजली के साथ हल्की बूंदाबांदी, अचानक तेज हवाएं, धूल भरी आंधी का मौसम रहेगा। हवा की स्पीड 30-40 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है।
बारां, कोटा तथा आसपास के क्षेत्रों मे कहीं-कहीं हल्की से मध्यम वर्षा, हल्की ओलावृष्टि होने साथ ही अपेक्षित हवा की गति 40-60 किलोमीटर प्रति घंटा होने की भी संभावना है। भीलवाड़ा में कल बूंदाबांदी हो चुकी है। कई जिलों में आज बारिश हो सकती है।
क्या होता है नौतपा?
नौतपा यानी वे 9 दिन जब सूर्य धरती के ज्यादा करीब आ जाते हैं, जिससे गर्मी अधिक पड़ती है। नौतपा 25 मई शुरू हो रहा है और 2 जून तक रहेगा। नौतपा के दौरान प्रचंड गर्मी होती है और कहा जाता है कि इसी से मानसून बनता है।