अभिनव न्यूज।
जोधपुर: 1971 के युद्ध में असाधारण पराक्रम दिखाने वाले भैरों सिंह राठौड़ ने AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली है. उन्हें दोबारा तबीयत बिगड़ने पर वेंटिलेटर पर लिया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय दिवस पर स्वास्थ्य बिगड़ने पर भैरों सिंह राठौड़ से के पुत्र सवाई सिंह से फीडबैक लिया था. उन्होंने भैरों सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने की कमाना की थी. भैरों सिंह ने भारत और पाकिस्तान के युद्ध में हिस्सा लिया था. 1971 में युद्ध के दौरान भैरों सिंह लोंगेवाला में पोस्टेड थे.
बीएसएफ के जवान भैरो सिंह कुछ दिन से बीमार थे. सीने में दर्द की शिकायत के बाद जोधपुर में ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया था. उन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे. भैरो सिंह को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था. लोंगेवाला का युद्ध 1971 के युद्ध में भारत के पराक्रम की सबसे बड़ी कहानी है.
अमेरिका से एक दल ने आकर लोंगे वाला युद्ध का अध्ययन किया था:
लोंगेवाला युद्ध में भारतीय जवानों के शौर्य और पराक्रम के किस्सों की सिर्फ भारत में नहीं विश्व में काफी चर्चा होती रहती है. अमेरिका से एक दल ने आकर लोंगे वाला युद्ध का अध्ययन किया था क्योंकि विश्व में युद्ध के इतिहास में डेजर्ट बार में भारतीय सेना ने जो पराक्रम दिखाया वह अद्भुत था. अमेरिका के आधुनिक टैंकों से सजी पाकिस्तान की सेना की टुकड़ी को लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात मुट्ठी पर जवानों ने परास्त कर दिया था. भैंरो सिंह जोधपुर के सोलकिया तला के रहने वाले है और 1987 में बीएसएफ से रिटायर हुए थे. पिछले साल दिसंबर में जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसलमेर में बॉर्डर दौरे पर आए थे तब अमित शाह ने भैरो सिंह से मुलाकात की थी.
जब लांस नायक भैरों सिंह ने उठाई मशीन गन:
लोंगेवाला चौकी पर 1971 के युद्ध के बारे में बीएसएफ के रिकॉर्ड के अनुसार, “जब पंजाब रेजिमेंट के 23 जवानों में से एक मारा गया, तो लांस नायक भैरों सिंह ने अपनी लाइट मशीन गन उठा ली. इसके बाद आगे बढ़ते दुश्मन पर ताबड़तोड़ हमले कर उन्हें गहरा नुकसान पहुंचाया.” आधिकारिक रिकॉर्ड में कहा गया है कि यह केवल उनका साहस और करो या मरो का दृढ़ संकल्प था, जिससे उस दिन जीत हुई और लांस नायक भैरों सिंह चौकी पर अपने अन्य साथियों के लिए एक महान प्रेरणा बन गए.