Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Sunday, November 24

बॉक्सिंग चैंपियन निखत जरीन का इंटरव्यू:छोटे कपड़े पहनने पर रिश्तेदार उठाते थे सवाल..

अभिनव टाइम्स | इस्तांबुल में हाल ही में खेली गई वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में निखत जरीन ने देश के लिए 52 किलो वेट कैटगिरी में 4 साल बाद गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले 2018 में एमसी मेरीकॉम चैंपियन बनी थीं। निखत गोल्ड जीतने वाली 5वीं भारतीय बॉक्सर हैं।

निखत ने मेडल जीतने के बाद अपने अब तक के सफर को लेकर बातचीत की है। निखत का कहना है कि जो लोग और रिश्तेदार उनके छोटे कपड़े पहन कर खेलने पर सवाल उठाते थे, वही आज मेडल जीतने के बाद हैदराबाद पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं और मेरे साथ फोटो क्लिक करवाना चाहते हैं।

निखत क्रिकेटरों की तरह सम्मान नहीं मिलने से थोड़ी निराश हैं। वो कहती है कि मैं क्रिकेट को ब्लेम नहीं करूंगी, लेकिन मैं लोगों को ब्लेम करूंगी कि वो हमारे खेल को वैसा सम्मान नहीं देते हैं, जैसा क्रिकेट को देते हैं। पढ़िए उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

सवाल- गोल्ड की बधाई निखत, अब आगे क्या? 2024 ओलिंपिक या कुछ और है मन में?
जवाब- थैंक्यू। अब मेरा अगला टारगेट देश के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतना है। उसको लेकर तैयारी करूंगी। उसके बाद मेरा टारगेट पेरिस ओलिंपिक में भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।

सवाल- आपके पिता ने कहा था कि आपके शॉर्ट्स पहनकर खेलने पर रिश्तेदारों को ऐतराज था। क्या मां को भी ऐसी चिंता सताती थी? कोई बात या वाकया याद आ रहा है?
जवाब- मेरी मम्मी को इस चीज को लेकर प्रॉब्लम थी कि बॉक्सिंग ऐसा गेम है, जहां पर मार लगती है। उनको इस बात का डर था कि कहीं मुझे चोट लगी तो मुझसे शादी कौन करेगा। मैंने मम्मी को समझाया था कि एक बार मेरा नाम हो जाएगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी। आप उसकी चिंता मत करें।

लोगों ने बोला था कि बॉक्सिंग ऐसा गेम है, जहां शॉर्ट्स पहनने होंगे। इस्लाम में इसे अच्छा नहीं मानते। रिश्तेदार बोलते थे कि तू छोटे कपड़े पहनकर खेलेगी। हमारे समाज के बारे में थोड़ा सोच ले, लेकिन मेरे पापा ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा आप अपने गेम पर फोकस करो, यही लोग कल आएंगे फोटो खिंचावाने। उसके बाद मैंने और बातों पर ध्यान नहीं दिया।

सवाल- वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद उन रिश्तेदारों और लोगों का भी बधाई देने के लिए फोन आया, जिनको आपके छोटे कपड़े पहनकर खेलने पर ऐतराज था?
जवाब-
 मेरे पास तो उन रिश्तेदारों का फोन नहीं आया, लेकिन घरवालों के पास उनका फोन आया और उन्होंने बधाई दी। अब वो मेरे घरवालों को बोलते हैं कि निखत हैदराबाद आए तो बताना। हम लोग उससे मिलेंगे और उसके साथ फोटो खिंचवाएंगे। वे लोग बस अब मेरा इंतजार कर रहे हैं।

सवाल- आप एक क्रिकेटिंग नेशन में रहती हैं तो क्रिकेट से मुहब्बत है या जलन? और हां… क्रिकेट में कोई हीरो है आपका?
जवाब- हां मेरे फेवरेट क्रिकेटर एम एस धोनी और सचिन तेंदुलकर हैं। मैं इनकी बहुत बड़ी फैन हूं। मैं क्रिकेट में दो-तीन लोगों को पर्सनली भी जानती हूं। मुझे क्रिकेट से जलन नहीं है। क्रिकेट भी गेम ही है। मैं क्रिकेट को ब्लेम नहीं करूंगी। मैं लोगों को ब्लेम करूंगी कि लोग क्रिकेट को ज्यादा प्यार देते हैं, हमें नहीं। हमारा काम है कि हम मेडल जीतें और लोगों को हमारे स्पोर्ट्स में और इंटरेस्ट पैदा हो और बॉक्सिंग को भी वैसा ही सपोर्ट मिले जैसा क्रिकेट को मिलता है।

सवाल- ये वही वेट कैटेगरी है, जिसमें मेरीकॉम 6 बार वर्ल्ड चैंपियन रही हैं। मेरीकॉम को क्या मानती हैं… इन्सपिरेशन या कॉम्पिटिटर?
जवाब- जी मैं बचपन से ही उनको देखकर बॉक्सिंग में आई। उनको फॉलो करती हूं। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।

सवाल- क्या उन्होंने (मेरी कॉम) आपको जीत के बाद बधाई के लिए फोन किया?
जवाब- जी उन्होंने फोन तो नहीं किया, पर सोशल मीडिया पर जरूर मुझे बधाई दी।

सवाल- पिता फुटबॉल और क्रिकेट खेलते थे, मां कबड्डी में माहिर थीं और बहन शटलर, तो आप सबने खेल ही क्यों चुना?
जवाब-
 मैं बचपन से ही खेल कूद की शौक रखती थी। मेरे स्कूल में एनुअल डे आने वाला था। तब मैंने एथलेटिक्स में भाग लिया और जीता। दो साल तक मैंने एथलेटिक्स किया। मेरे पापा ही अभ्यास करवाते थे। 2009 में मैने बॉक्सिंग में आने का फैसला किया। उसके बाद से मैं बॉक्सिंग कर रही हूं।

सवाल- बॉक्सिंग काफी डिसिप्लिन और हार्ड वर्क मांगती है। तो क्या आपने हैदराबादी बिरयानी छोड़ी या अब भी चल रहा है चोरी-छिपे?
जवाब- (हंसते हुए) नहीं- नहीं बिल्कुल नहीं। मै वैसे ही चल रही हूं। हैदराबाद की बिरयानी मैं हैदराबाद आकर ही खा पाऊंगी। मैं डाइट पर हूं। अगर आपको कुछ पाना है तो कुछ खोना ही पड़ेगा। अगर मेडल जीतना था, तो ये सब सैक्रिफाइस करना ही था। जब एक बार मेडल जीत जाती हूं, तो बिरयानी ही बिरयानी खा सकती हूं।

सवाल- आप हैदराबाद से हैं, जहां से सानिया, साइना, सिंधु जैसी शानदार खिलाड़ियों ने दुनिया में नाम कमाया, क्या ये बात एक-दूसरे को अच्छा करने के लिए पुश कर पाती है?
जवाब- जी हां, बिल्कुल अगर आपके स्टेट से कोई इंटरनेशनल स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है और मेडल जीत रहा है, तो कहीं न कहीं आपको इंस्पायर भी करता है और मोटिवेट भी करता है। साइना ने ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता, फिर सिंधु ने पदक जीता तो उन सब चीजों ने मुझे मोटिवेट किया और मैंने तभी सोचा कि मुझे भी देश के लिए ओलिंपिक मेडल जीतना है।

सवाल- अपने देश में विमेंस स्पोर्ट्स की मौजूदा स्थिति क्या पहले से बेहतर हुई है, खासकर जब आप बाकी देशों में घूमते हुए देखती हैं, उसके लिहाज से?
जवाब– जी हां इंडियन स्पोर्ट्स में महिल एथलीट बहुत आगे आ रही हैं। जैसा कि आप देख रहे हो कि रियो ओलिंपिक हो, या टोक्यो ज्यादातर लड़कियों के नाम ही मेडल था। मीराबाई चानू, लवलीना ने कमाल का प्रदर्शन किया। लड़कियां जब बैक टु बैक मेडल जीत रही हैं तो कहीं न कहीं वो आपको मोटिवेट भी करती हैं कि हम लड़कियां भी स्ट्रॉन्ग हैं और हम भी देश का नाम रोशन कर सकती हैं।

सवाल- 2017 में कंधे में चोट लगी, ऑपरेशन हुआ। कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स और ओलिंपिक तक छोड़ना पड़ा। वहां से यहां पहुंचने के लिए क्या-क्या किया?
जवाब- 2017 में शोल्डर इंजरी हुई थी। इसकी वजह से मुझे 2017 में बॉक्सिंग से बाहर रहना पड़ा। मुझे बहुत दुख हुआ। फिर भी मैंने अपने आप को पॉजिटिव रखा। एक ही चीज पर फोकस रखती थी कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है। बस मेरा यही था कि मैं जल्द से जल्द कमबैक करूं। मैं देश को रिप्रजेंट करने का और देश के लिए मेडल जीतने का चांस खोना नहीं चाहती थी। वही सोचकर मैंने मेहनत की।

सवाल-. इस्तांबुल में पहले राउंड से फाइनल तक हर मैच में आपने एकतरफा 5-0 से जीत हासिल की। क्या किया था इसके लिए?
जवाब– इसके लिए बहुत मेहनत की है। उस लेवल पर उस हिसाब से बहुत तैयारी की थी। फिटनेस लेवल पर काम किया था, ताकि वहां पर जाकर थकान नहीं हो और यही था कि विपक्षी खिलाड़ी कितना भी स्ट्रॉन्ग क्यों न हो अपना हंड्रेड परसेंट देना है। मेरा यही स्ट्रैटेजी थी कि सारे राउंड में डॉमिनेट करूं और पूरे पॉइंट से जीतूं।

सवाल- ओलिंपिक में करीब 2 साल का वक्त है। क्या खास तैयारी?
जवाब-
 ओलिंपिक में बॉक्सिंग में अब 40 साल तक खेल सकते हैं। मेरीकॉम अगले साल 40 की हो जाएंगी। पेरिस ओलिंपिक के लिए एलिजेबल नहीं होंगी। मेरा हर कॉम्पिटशन पर स्टेप बाई स्टेप फोकस है। फिलहाल मेरा फोकस वर्ल्ड चैंपियनशिप पर था। अब मेरा फोकस कॉमनवेल्थ गेम्स पर है। मैं उसको लेकर तैयारी करूंगी, ताकि वहां पर भी देश के लिए मेडल जीत सकूं।

सवाल- आपने सलमान खान को लेकर कहा, कि वो भाई नहीं, जान हैं मेरे। उन्होंने भी सोशल मीडिया पर आपके जीत के बाद फोकस किया। क्या वो आपके फेवरेट हीरो हैं?
जवाब- 
जी हां, वो मेरे फेवरेट हीरो हैं। मैं उनको बचपन से ही पसंद करती आई हूं। मेरा सपना है उनसे मिलने का। पता नहीं कब मिलूंगी पर कोशिश करूंगी कि जल्द से जल्द मिलूं। मुझे बहुत खुशी होगी अगर ओलिंपिक मेडल जीतकर मैं उनसे मिलूं।

Click to listen highlighted text!