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Saturday, November 23

यानी इस शहर में कोई गरीब जिन्दा है तो अपनी किस्मत से

अभिनव न्यूज।
बीकानेर:
गोपीकिशन पुरोहित एक मेहनतकश और ईमानदार इंसान है। उनकी पूरी जिन्दगी पिचके का ठेला लगाते हुए अथवा ज्वैलर्स के यहां पर नौकरी करके अपना परिवार पालते हुए निकल गई। सबको पता है कि उस गरीब ईमानदार व्यक्ति और उसके परिवार के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है। पुलिस प्रशासन मूक दर्शक की तरह सारे मामले को देख रहा है। तीन दिन से गोपीकिशन पुरोहित उर्फ भैंरू लापता है अथवा उसे बंधक बनाकर रखा गया है, समझ में नहीं आता कि पुलिस आखिर कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। क्या यही है कानून व्यवस्था। क्या गरीब और सामान्य होना अपराध है ? इसका मतलब तो ये हुआ कि आज के समय में जितने भी गरीब और बिना राजनीतिक पहुंच वाले लोग जिन्दा हैं, वे अपनी किस्मत से ही जिन्दा हैं।

आज वो गरीब और निर्दोष व्यक्ति अपने परिवार के साथ पिस रहा है। इसी समाज के वोटों पर राजनीति करने वाले नेताओं का क्या ये फर्ज नहीं बनता कि वे उस मासूम परिवार को सुरक्षा और न्याय दिलवाए। आखिर क्यों प्रथम पंक्ति के किसी नेता ने इस पूरे प्रकरण में हस्तक्षेप नहीं किया? नेता अगर सुख- दुख में आम लोगों के साथ नहीं रहे तो फिर उन्हें लोगों से चुनावों में वोट मांगने का क्या अधिकार है।

ये सामान्य घटना नहीं है। यह शहर में रहने वाले भैंरू जैसे हर आम आदमी के अस्तित्व का सवाल है। जिसके पास पैसा और पहुंच है, वो किसी के साथ भी कुछ भी कर लेगा ? ये न केवल प्रशासन की बल्कि सरकार और जन प्रतिनिधियों की नाकामी है। और कोई भी साथ न आए तो अब जनता और समाज को एकजुट हो जाना चाहिए। पुलिस को अब तुरन्त कार्रवाई करते हुए सबसे पहले गोपीकिशन उर्फ भैंरू कहां है, इसका पता लगाना चाहिए।

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