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Friday, November 22

आमजन से जुड़ाव रखने वाले रचनाकार थे सुदामा..

बीकानर । हिंदी विश्व भारती अनुसंधान परिषद नागरी भंडार द्वारा राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य विद्वान स्वर्गीय अन्नाराम सुदामा की 99वीं जयंती के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन स्थानीय महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी नागरी भंडार में रखा गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दार्शनिक एवं चिंतक प्रोफ़ेसर घनश्याम आत्रेय ने कहा कि उनकी रचनाएं दिल को छूने वाली थीं और उनकी कविताओं में अध्यात्मिकता के दर्शन होते हैं । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर डॉ भंवर भादानी ने कहा कि स्वर्गीय अन्नाराम सुदामा का शताब्दी वर्ष शुरू हो चुका है, हमें उनकी स्मृति में लगातार पूरे वर्ष तक कार्यक्रम आयोजित करवाते रहना चाहिए। जिसमें उनकी साहित्यिक यात्रा के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार संजय पुरोहित ने कहा कि आधुनिक राजस्थानी कहानी को स्थापित करने में एवं राजस्थानी कहानियों में मौलिकता को सर्वोपरि रखने का श्रेय अन्नाराम सुदामा को दिया जा सकता है। कार्यक्रम के अन्य विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ मनमोहन सिंह यादव ने कहा कि अन्नाराम सुदामा राजस्थानी भाषा साहित्य व्योम के ऐसे दैदीप्यमान नक्षत्र है जो पाठको के मनोमस्तिष्क और साहित्य जगत में जीवंत रहेंगे। इससे पूर्व कार्यक्रम में डॉ गिरिजा शंकर शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि अन्नाराम सुदामा एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो सादगी एवं आमजन से जुड़ाव रखने वाले रचनाकार थे। अपनी कहानियों के परिवेश एवं जन जीवन को आसानी से समझने के लिए वे पैदल यात्राएं भी करते थे ।

शिक्षा विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि स्वर्गीय अन्नाराम सुदामा का कृतित्व एक सामाजिक जीवन का दस्तावेज था। कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि युवा रचनाकारों को उनकी रचनाओं का अध्ययन एवं मनन करना चाहिए।डॉ गौरी शंकर प्रजापत ने कहा कि उनकी रचनाओं में लोकोक्तियां और मुहावरों का ख़ूबी के साथ प्रयोग किया गया है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शंकर लाल स्वामी ने कहा कि उनकी रचनाओं में उनके आदर्श जीवन मूल्यों की झांकी के दर्शन होते हैं। कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि उनकी रचनाएं जनमानस को प्रेरित करती हैं।
डॉ मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान ने कहा कि जब उनकी रचनाओं को पढ़ना शुरू करते हैं तो रचना पूरी होने तक पढ़ने के लिए जिज्ञासा क़ायम रहती है।
डॉ कृष्ण लाल बिश्नोई ने उनकी रचनाओं के चुनिंदा अंशों का वाचन किया।डॉ प्रभा भार्गव ने उनके उपन्यास बाघ और बिल्लियों पर समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत की। ।कार्यक्रम में कवि राजेंद्र स्वर्णकार ने स्वर्गीय सुदामा की काव्य रस धारा पर प्रकाश डाला।संगोष्ठी में नगर के अनेक रचनाकारों एवं स्वर्गीय अन्नाराम सुदामा के परिवार के अनेक सदस्यों ने सहभागिता की। जिनमें नंदकिशोर सोलंकी, डॉ नितिन गोयल, शिव प्रकाश वर्मा, डॉ राजेंद्र कुमार, ओम प्रकाश शर्मा,आत्माराम भाटी, गिरिराज पारीक, इरशाद अज़ीज़,जुगल किशोर पुरोहित, प्रकाश सारस्वत, अमर सिंह खंगारोत, रमेश महर्षि, श्याम सुंदर, मयंक पारीक, विकास पारीक, इसरार हसन क़ादरी, समी उल हसन क़ादरी, मानवेंद्र, गिरिराज शर्मा राजेश कुमार एडवोकेट हरिनारायण सारस्वत आदि उपस्थित थे।
संगोष्ठी का डॉ मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान ने किया। आभार अमर सिंह खंगारोत ने ज्ञापित किया।

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