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Saturday, November 23

संजय पुरोहित का नागरिक अभिनंदन समारोह आयोजित

अभिनव न्यूज।
बीकानेर: साहित्य, संस्कृति, संगीत एवं कला को समर्पित संस्थान बीकानेर साहित्य संस्कृति कला संगम के तत्वावधान में नगर की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक, रचनाशील 51 संस्थाओं द्वारा युवा कवि कथाकार एवं केंद्रीय साहित्य अकादमी से राजस्थानी भाषा अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत युवा साहित्यकार संजय पुरोहित का नागरिक अभिनंदन समारोह महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम नागरी भंडार बीकानेर में आयोजित किया गया।

नागरिक अभिनंदन समारोह की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने की। शिवराज छंगाणी ने अपना आशीर्वचन देते हुए कहा कि संजय पुरोहित क़लम के धनी है, उनका स्वागत व सम्मान प्रशंसनीय है एवं तमाम संस्थाएं इसके लिए साधुवाद की पात्र हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि
केंद्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक वरिष्ठ नाटककार पत्रकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि संजय पुरोहित ने अपने पिताजी श्री बुलाकी दास बावरा की परंपरा को बखूबी आगे बढ़ाया है । किसी साहित्यकार का सम्मान करना उस शहर का सम्मान करना होता है और बीकानेर इस क्षेत्र में सदैव अग्रणी रहा है। संजय पुरोहित के अभिनंदन से राजस्थानी भाषा को बल व सम्मान मिलेगा।

समारोह के विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि कथाकार एवं राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने कहा कि संजय पुरोहित बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी एवं अनेक विधाओं में ख़ूबी के साथ सृजन करने वाले रचनाकार हैं जिन पर इस शहर को नाज़ है। सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं का दायित्व है कि वे प्रतिभावान व्यक्तियों का सम्मान करें और बीकानेर की संस्थाओं ने अपने उत्तरदायित्व का बखूबी पालन किया है।
क़ासिम बीकानेरी ने संजय पुरोहित की शान में लिखी नज़्म की इन पंक्तियों के ज़रिए उनका सम्मान किया-
मान हो इल्मो अदब का आप संजय भाई साहब
इक चमकता हो सितारा आप संजय भाई साहब
बावरा जी की विरासत के अलमबरदार हो
करने को ख़िदमत अदब की हर घड़ी तय्यार हो।

अभिनंदन समारोह में संजय पुरोहित के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर युवा साहित्यकार संजय आचार्य वरुण ने पत्र वाचन करते हुए उनके जीवन एवं साहित्यिक यात्रा के कई अनछुए पहलू सामने रखे। वरुण ने कहा कि संजय पुरोहित बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं। लिखना और पढ़ना उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा है। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व में उनके पिता बुलाकी दास बावरा की छाप नज़र आती है।
नागरिक अभिनंदन सम्मान स्वरूप अभिनंदन पत्र, साफा, शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं माल्यार्पण द्वारा संजय पुरोहित का सम्मान किया गया । अभिनंदन पत्र का वाचन युवा साहित्यकार हरीश बी. शर्मा ने किया।
सम्मान से भावविभोर होते हुए संजय पुरोहित ने सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका सम्मान मायड़ भाषा का सम्मान है और वे हमेशा मायड़ भाषा के प्रचार प्रसार में अपना योगदान देते रहेंगे।
समारोह में नंदकिशोर सोलंकी, सरल विशारद, दीपचंद सांखला, डॉ. फ़ारुक़ चौहान, मुनिंदर अग्निहोत्री, राजेंद्र खत्री, निर्मल कुमार शर्मा, त्रिलोक चंद बिस्सा, प्रेम नारायण व्यास, सुश्री रेणु सक्सेना, विजय सिंह राठौड़,रामदेव राठी, अशोक बंसल, मनीष पारीक, अज़ीज़ भुट्टा, गोपाल सिंह, डॉ. असित गोस्वामी, अमित गोस्वामी, माजिद ख़ान ग़ौरी, नरेंद्र सिंह स्याणी, नरेंद्र आचार्य, राज नारायण पुरोहित, सुभाष जोशी, सुनील झांब, सुनील कुमार जोशी, पंकज अग्रवाल, डॉ.नितिन गोयल, संजय श्रीमाली, डॉ. चेतना आचार्य, नवल सिंह गोपाल सोनी, मनोज व्यास,आत्माराम भाटी, मनीष जोशी, अरुण व्यास,संजय पणिया, रविंद्र हर्ष, मुकेश व्यास, अब्दुल वाहिद अशरफ़ी, मोहम्मद इस्हाक़ ग़ौरी, अब्दुल जब्बार जज़्बी,डॉ. वी एस वोहरा, डॉ.राकेश मणि, डॉ. प्रीति गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, अरुण बंसल, नदीम अहमद नदीम, नेमचंद गहलोत, चंद्रशेखर हर्ष, शिव प्रकाश शर्मा, अजय सिंह राजपुरोहित, सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित,लीलाधर सोनी, राजाराम स्वर्णकार, डॉ. अजय जोशी, जुगल किशोर पुरोहित, डॉ.ज़ियाउल हसन क़ादरी, डॉ. सुरेंद्र नाथ, अशोक रंगा,मुजीबुर्रहमान, संतोष व्यास, याकूब भाटी, श्रीमती ममता सिंह, श्री लाल जोशी तेजरासर, रतिराम स्वामी, अखाराम, विप्लव व्यास, कृष्णा वर्मा, नगेंद्र नारायण किराडू, बृजभूषण गोस्वामी, ब्रज बाबू सुराणा, योगेंद्र सिंह यादव, सुनील गज्जाणी, संतोष धामू, डॉ.कृष्ण लाल बिश्नोई,बीरबल राम मोटासरा, वीरेंद्र किराडू, मनीष कच्छावा, गणेश, दीनदयाल शर्मा, हर्षवर्धन हर्ष, सय्यद इमरान अली, सय्यद समीर अली एवं संजय पुरोहित के परिजन उपस्थित थे।
अभिनंदन समारोह के प्रारंभ में सभी आगंतुकों का स्वागत संजय सांखला ने किया और अंत में आभार ज्ञापन गिरिराज पारीक ने किया। कार्यक्रम का सरस संचालन क़ासिम बीकानेरी किया।

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