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Friday, November 22

नहरबंदी खत्म: पेयजल संकट से मिलेगी राहत, 5 दिन बाद आएगा पानी

रात 8.30 बजे हरिके बेराज से पानी छोड़ा, 28 की सुबह बीकानेर पहुंचेगा

बीकानेर सहित राजस्थान के 11 जिलों में अब पेयजल समस्या नहीं रहेगी। नहरबंदी खत्म हो गई है। पंजाब के हरिके बेरोज से सोमवार की रात को करीब 8.30 पानी छोड़ दिया गया है जो 27 मई की देर रात को या 28 मई की सुबह बीकानेर पहुंच जाएगा। राजस्थान में पिछले 65 दिनों से चल रही नहरबंदी सोमवार की रात को खत्म हो गई है। सरहिन्द फीडर पर दिन-रात तेजी से काम होने के कारण कटाव ठीक कर दिया गया और सोमवार की रात को 8.30 बजे पंजाब में हरिके बेरोज से पानी छोड़ दिया गया है जो राजस्थान बॉर्डर आरडी 496 से बिरधवाल हेड पहुंचेगा।

संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ने बताया कि हरिके बेराज से बीकानेर की दूरी 413 किमी है। सामान्य तौर पर नहर में पानी एक दिन में 80 किमी चलता है। लेकिन, अभी नहर खाली है तो स्पीड तेज रहेगी और रोजाना करीब 100 से 125 किमी की दूरी तय होगी। ऐसे में 27 मई की देर रात को या 28 मई की सुबह तक पानी बीकानेर पहुंच जाएगा।

बीछवाल जलाशय से एक दिन बाद पानी शोभासर जलाशय पहुंचेगा। पानी की रेगुलर सप्लाई शुरू होने तक आमजन को किसी भी तरह की परेशानी ना हो, इसलिए पूरी व्यवस्था कर दी गई है। टैंकर से पानी सप्लाई के अलावा अब शहर के वार्डों में पानी की टंकियां भी रखवाई गई हैं। कंट्रोल रूम में रविवार को पानी की 139 शिकायतें आई थीं जो सोमवार को 32 रह गईं। अधिकारियों की मीटिंग लेकर पानी के मुद्दे पर पूरी गंभीरता से काम करने के लिए कहा गया है।

कहां, कब पहुंचेगा पानी
बीकानेर : बीछवाल में 28 मई की सुबह तक और शोभासर जलाशय में 29 मई को
हनुमानगढ़ : 27 मई को सुबह
झुंझुनूं : 28 मई को सुबह
चूरू : 28 मई को सुबह
नागौर : 30 मई को दोपहर
जोधपुर : एक जून की शाम को
बाड़मेर : 30 मई की रात को
जैसलमेर : 1 जून की शाम को​​​​​​​

दाे साल और हाेगी नहरबंदी- पंजाब काे तीन साल में 100 किमी नहर ठीक करनी थी, 2 साल में 52 किमी ही हुई
केन्द्र, पंजाब और राज्य सरकार के बीच हुए एमओयू के तहत तीन साल तक 70-70 दिन की नहरबंदी लेकर पंजाब में 100 किलोमीटर नहर दुरुस्त करनी थी। दाे साल में पंजाब ने सिर्फ 52 किलोमीटर नहर ठीक की है। यानी आगे दाे साल और नहरबंदी लेनी हाेगी।

वजह राजस्थान सरकार और केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय दाेनाें ही पंजाब पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं। पंजाब-राजस्थान और केन्द्र सरकार के बीच 2018 में त्रिकोणीय करार हुआ था। जिसके तहत पंजाब सीमा में आने वाली इंदिरा गांधी नहर की 100 किलोमीटर दूर तक पूरी मरम्मत की जानी थी। 1200 कराेड़ रुपए का बजट तैयार किया गया। राज्य सरकार ने अपने हिस्से की राशि भी पंजाब काे जमा करा दी।

2019 में काम शुरू हाेना था, लेकिन उस साल पंजाब सरकार ने समय पर टेंडर ही नहीं किए। 2020 में टेंडर हुआ ताे काेविड आ गया और काम नहीं हुआ। 2021 में पहली बार 70 दिन की नहरबंदी हुई और उसमें 33 किलोमीटर का काम हाेना था लेकिन सिर्फ 23 किलोमीटर की ही मरम्मत हा़े पाई। इस साल 53 किलोमीटर की मरम्मत करनी थी लेकिन 30 किलोमीटर ही की जा सकी।

यानी दो सालों में सिर्फ 53 किलोमीटर लंबी नहर की मरम्मत हा़े सकी। अभी भी करीब 47 किलोमीटर नहर बची है। एमओयू के मुताबिक अगले साल पूरा काम खत्म करना हाेगा लेकिन बीते दो सालों के अनुभव से अगले साल पूरा काम होना मुश्किल है। यानी नहरबंदी आगे दाे साल और लेकर ही पूरी नहर की मरम्मत हाे सकेगी। अगर ऐसा हुआ इस साल की तरह अगले दो साल और गर्मियाें में पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा।

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