अभिनव न्यूज।
जयपुर: गहलोत सरकार ने देर रात 1989 बैंच के डीजी इंटेलीजेंस उमेश मिश्रा को राजस्थान पुलिस का नया मुखिया बना दिया। वर्तमान में उमेश मिश्रा के पास डीजी इंटेलीजेंस का चार्ज हैं। देर रात जानकारी मिलने के बाद से ही मिश्रा के घर पर बधाई देने वालों का ताता लगा रहा। आईपीएस और आईएएस अधिकारी घर पर पहुंच कर मिश्रा को बधाई देते हुए दिखाई दिए। मिश्रा के डीजीपी बनने के आदेश की जानकारी मिलने पर उनके चाहने वालों ने घर के बाहर आतिशबाजी की पटाखे फोड़े। उनके परिवार में भी डीजीपी के आदेश आने के बाद खुशी का माहौल हैं।
3 नवम्बर को सम्भालेंगे पदभार उमेश मिश्रा
3 नवम्बर को डीजीपी एमएल लाठर रिटायर हो रहे हैं। जिसके बाद उमेश मिश्रा डीजीपी राजस्थान का पदभार ग्रहण करेंगे। आज सुबह से ही उनके आवास पर बधाई देने वालों का सिलसिला जारी रहा। आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फोन पर मिश्रा को नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं दी। जिसके बाद डीजीपी एमएल लाठर ने भी उन्हे फोन पर शुभकामानएं दी।
उमेश मिश्रा कई समय से राज्य सरकार द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पर बैठे हुए थे। कहा जाता है कि डीजी इंटेलीजेंस सरकार की नांक और कान होते हैं। सरकार के खिलाफ और पक्षधरों पर उनकी पैनी नजर रहती हैं। सरकार हमेशा ऐसे पदों पर विश्ववस्त लोगों को ही बिठाते हैं। उमेश मिश्रा उन्ही अधिकारियों में मेसे एक अधिकारी हैं। सरकार के संकट के समय में भी मिश्रा ने सरकार को कई फीडबैक दिए जिससे सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ। यही कारण है कि इसी का फल राज्य सरकार ने मिश्रा को दिया हैं।
उमेश मिश्रा से दो सीनियर अधिकारी भी थे लाइन में
उमेश मिश्रा से दो सीनियर अधिकारी डीजी होमगार्ड यूआर साहू और डीजी जेल भूपेन्द्र दक भी डीजीपी बनने की लाइन में थे। लेकिन सरकार ने उमेश मिश्रा को प्राथमिकता देते हुए राजस्थान पुलिस का मुखिया बना दिया हैं। हालांकि कयास ये लगाए जा रहे थे कि चुनावी वर्ष होने के कारण भूपेन्द्र दक को डीजीपी राजस्थान बनाया जाएगा। क्यों की गहलोत सरकार की गुड बुक में भी भूपेन्द्र दक का नाम शामिल हैं। लेकिन मिश्रा के काम के तरीकों से गहलोत सरकार काफी खुश थी यही कारण रहा कि दो सीनियर अधिकारियों को छोड़ कर मिश्रा को डीजीपी बनाया गया हैं। 1मई 1964 में यूपी के कुशीनगर में जन्मे मिश्रा स्वभाव से काफी शालीन हैं।
सरकार के लिए संकटमोचक थे मिश्रा
कोराना काल से लेकर राजस्थान की राजनीति में आए भूचाल के दौरान मिश्रा सरकार के लिए संकटमोचक के रूप में खडे़ रहे। डीजीपी एमएल लाठर और मिश्रा की जोड़ी ने सरकार को गिरने से बचाने के लिए बहुत प्रयास किए। सियासी संकट के दौरान मिश्रा फिल्ड ऑफिसरों से मिनट-टू-मिनट का फीड़बैक लिया करते थे। जिसे बाद में छह-छह घंटे के अंतराल में मुख्यमंत्री को ब्रीफिंग होती थी। यही कारण रहा कि सरकार से नाराज विधायक ज्यादा कुछ सरकार को नुकसान नहीं पहुंचा सके।
मिश्रा को मिल चुके कई महत्वपूर्ण पदक
उमेश मिश्रा की पुलिसिंग किसी से छिपी नहीं हैं। उनका वर्किंग और एक्शन कोई पकड़ नहीं पाता। राजस्थान में जिलों से लेकर रेंज और एसीबी-एसओजी तक में उनके ऑपरेशनों की आज भी चर्चा रहती हैं। मिश्रा ने एसीबी में रहते हुए सैंकड़ों रिश्वतखोरो को सलाखों के पीछे डाला। वहीं एटीएस में रहते हुए हनीट्रेप, नकल गिरोह को पकडा था। यही कारण है कि उन्हे राष्ट्रपति पुलिस पदक,पुलिस पदक से भी कई बार सम्मानित किया जा चुका हैं।