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Sunday, November 24

आज ग्रहण: रातभर आतिशबाजी के बाद दिन में नहीं हुई गोवर्द्धन पूजा, बीकानेर में दोपहर 4.27 बजे से ग्रहण

अभिनव न्यूज।
बीकानेर: दीपावली पर सोमवार की पूरी रात बीकानेर में आतिशबाजी का दौर चला। आसमान कुछ पल के लिए भी खाली नहीं रहा। एक के बाद एक आतिशबाजी ने लोगों को रोमांचित कर दिया। कोरोना के बावजूद पिछले दो साल आतिशबाजी तो हुई लेकिन इस बार पिछले सालों से ज्यादा आतिशबाजी हुई। इस बार कोरोना नहीं था तो ग्रहण का असर दिखाई दे रहा है। दीपावली के अगले दिन घरों के आगे महिलाएं गोवर्द्धन पूजा करती नजर आती है लेकिन मंगलवार को ऐसा नहीं हुआ। अब बुधवार को बीकानेर में गोवर्द्धन पूजा होगी।

एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में इस पिछले साल की तुलना में करीब दो गुना आतिशबाजी हुई। अर्से बाद ऐसा देखने काे मिला कि रात ग्यारह बजे तक भी पटाखों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी थी। अधिकांश दुकानों में आतिशबाजी का सामान लगभग खत्म हो गया। न तो अगले साल के लिए स्टॉक बचा और न ही शादियों के लिए। न सिर्फ आतिशबाजी बल्कि बर्तनों की दुकानों पर भी रात तक बिक्री होती रही। दीपावली के दिन नए बर्तन में मिठाई रखकर उसका पूजन करने की परम्परा रही है। आमतौर पर लोग धनतेरस के दिन ही बर्तन खरीद लेते हैं लेकिन इस बार ये सिलसिला दीपावली तक जमकर चला। रात ग्यारह बजे तक बर्तनों की दुकानें खुली रही।

करोड़ों के पटाखे जला दिए

बीकानेर में दीपावली पर करोड़ों रुपए के पटाखों से आतिशबाजी की गई। पटाखा व्यवसायी व फायरवर्क्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र किराडू ने बताया कि इस बार पिछले सालों की तुलना में ज्यादा बिक्री हुई है। बीकानेर में बनने वाली फुलझड़ियों की डिमांड भी इस बार बढ़ी है। बीकानेर से पश्चिमी राजस्थान के साथ ही उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में फुलझड़ी भेजी गई। किराडू का कहना है कि स्थानीय बाजार में सौ से ज्यादा स्थायी और अस्थायी दुकानों पर देर रात तक सामान की डिमांड बनी रही। ये बिक्री करोड़ों रुपए में है, जिसका सही आंकलन आने वाले दिनों में होगा।

आज ग्रहण, कल गोवर्द्धन पूजन

सूर्य ग्रहण के कारण बीकानेर में गोवर्द्धन पूजन अब बुधवार को होगा। बीकानेर में ग्रहण का समय शाम 4:27 बजे से शुरू होगा और 5:55 तक रहेगा। सूर्यग्रहण की अवधि 1 घंटा 28 मिनट होगी। इस दौरान लोग घरों में रहेंगे। सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले पहले सूतक लग गया है। ऐसे में पूजा पाठ से जुड़े लोग इस काल में न तो भोजन करते हैं और न पूजा पाठ। भगवान को याद करते हुए कई लोग माला फेरते हैं। शाम साढ़े छह बजे बाद स्नान करके लोग भोजन व पाठ पूजा करेंगे। दीपावली पर लक्ष्मी का पूजन हुआ लेकिन सुबह सूतक के कारण लक्ष्मी मंदिर को विसर्जित नहीं किया। अब ग्रहण के कारण लक्ष्मी पूजन का विसर्जन भी बुधवार को होगा।

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