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Saturday, November 23

ऐ मेरे बुजुर्ग मेरे सिर पर हाथ रख देना, डॉ. शंकरलाल स्वामी के जन्मदिवस पर त्रिभाषा काव्य समारोह

अभिनव टाइम्स बीकानेर। अरुण प्रकाशन एवं स्वयं प्रकाशन बीकानेर की ओर से हिंदी राजस्थानी के वरिष्ठ कवि गीतकार डॉ शंकर लाल स्वामी के जन्म दिवस के अवसर पर रविवार को मुरलीधर व्यास नगर रोड स्थित स्वयं प्रकाशन कार्यालय में त्रिभाषा काव्य समारोह का आयोजन किया गया । इस अवसर पर बीकानेर के वरिष्ठ कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की । कार्यक्रम में आयोजक संस्थाओं द्वारा डॉ शंकर लाल स्वामी का अभिनंदन किया गया । इस अवसर पर डॉ शंकर लाल स्वामी ने कहा कि बीकानेर एक ऐतिहासिक साहित्यिक परंपराओं वाला शहर है, हमें यहां के साहित्यिक सांस्कृतिक वातावरण को अपने सृजन के द्वारा बनाए रखना है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया।

इस अवसर पर कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने राजस्थानी गीत ‘थूं बांध पसारियो निरभै आभौ, म्हैं तारां री ऊजळ रात, हिय हबोळौ नेह रौ सागर, ना कर साथी भोर री बात’ प्रस्तुत किया। कवि कथाकार संजय पुरोहित ने पिता पर केन्द्रित रचना पढ़ी। कवि रमेश भोजक समीर ने ‘ जो हिस्सा होते हैं भीड़ का, वो सोचते नहीं’ कविता सुनाई तो शायर इरशाद अज़ीज ने ग़ज़ल ‘ज़िंदगी के लिए ज़िंदगी चाहिए, एक तू ही मुझे हर घड़ी चाहिए’ सुनाकर दाद ली। कवयित्री डॉ. संजू श्रीमाली ने ‘जब मैं चलूं तो यह दौलत मेरे साथ रख देना, ऐ मेरे बुजुर्ग मेरे सिर पर अपना हाथ रख देना’ कविता सुनाई। कवि -कथाकार संजय आचार्य वरुण ने ‘मन दरवाजे तेरे बंद चिटकनी, कैसे दाखिल होऊं रे,खोल किवाड़े अब बाहर आ जा, कब से तुझको जोऊं रे’ गीत सुना कर सराहना प्राप्त की । कवि -शायर कासिम बीकानेरी ने ‘महक आती है ताजा गुलसितां से, न जाने कौन गुजरा है यहां से’ गज़ल पढ़कर दाद हासिल की । कवयित्री डॉ. रेणुका व्यास नीलम ने गीत ‘चांद की रात है आज कोई बात न कर, जश्ने मुलाकात है आज कोई बात ना कर’ प्रस्तुत किया । युवा कवियत्री कपिला पालीवाल ने ‘जो लड़ा वह जीत गया, जो ना लड़ा उसे मौत मांगना सिखा देती है मजबूरियां’ कवि विप्लव व्यास ने ‘थारौ इण तरै आवणौ अर म्हारै मांय रळ जावणौ, कोई बेमाता रौ खेल हौ कांई’ कविता सुनाई वहीं डॉ. नृसिंह बिनानी ने ‘दीप के तपे बिना प्रकाश नहीं होता, बीज को खपे बिना विकास नहीं होता’ रचना का पाठ किया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि निर्मल कुमार शर्मा ने ‘तसव्वुर के सहारे बचपन में लौट जाएं’ गीत सस्वर प्रस्तुत किया । उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि वरिष्ठों की जीवन भर की साधना से नई पीढ़ी को मार्गदर्शन लेना चाहिए । कवि अजीत राज ने गजल ‘बड़ा गमजदा जी रहा जिंदगी, जो तूने दिया पी रहा जिंदगी’ प्रस्तुत कर सराहना प्राप्त की । कार्यक्रम में कवि कैलाश टाक, बाबूलाल छंगाणी, डॉ कृष्णा आचार्य ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की । डॉ श्रीकांत स्वामी और मधुसूदन सोनी ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

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