-पंडित गिरधारी सूरा ( पुरोहित )
सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर 7 बजकर 30 मिनट तक अमृत वेला में
सुबह 9 बजकर 30 मिनट से सुबह 11 बजे तक शुभ वेला में
दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में
दोपहर 12 बजकर 41 मिनट से दोपहर 2 बजकर 45 मिनट तक धनु लग्न में
उसके बाद लाभ अमृत वेला दोपहर 3 बजकर 18 मिनट से शाम 6 बजकर 18 मिनट तक
इसके बाद भी मुहूर्त है अपनी राशि व लग्न के अनुसार वो किसी विद्वान पंडित की सलाह लेकर करें।
- यह है घट स्थापना की विधि आश्विन् शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है. व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही मिटटी को पात्र में डालकर जौ या गेहू बौया जाता है। कलश की स्थापना के साथ ही माता का पूजन आरंभ हो जाता है। नवरात्र का श्रीगणेश शुक्ल पतिपदा को प्रात काल के शुभमहूर्त में घट स्थापना से होता है।
घट स्थापना हेतु मिट्टी अथवा साधना के अनुकूल धातु का कलश लेकर उसमें पूर्ण रूप से जल एवं गंगाजल भर कर कलश के ऊपर नारियल को लाल वस्त्र/चुनरी से लपेट कर अशोक वृक्ष या आम के पाँच पत्तो सहित रखना चाहिए।
पवित्र मिट्टी में जौ के दाने तथा जल मिलाकर वेदिका निर्माण के पश्चात उसके उपर कलश स्थापित करें। स्थापित घट पर वरूण देव का आह्वान कर पूजन सम्पन्न करना चाहिए।
नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर कलश, षोडश मातृका, नवग्रह व वरुण, भगवान शंकर का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ और भैरव, गणेश पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। - राशि के अनुसार करे माँ दुर्गा को प्रसन्न
- इन नौ दिनों में मेष व वृश्चिक राशि व लग्न वाले लाल पुष्पों को अर्पित कर लाल चंदन की माला से मंत्रों का जाप करें। नैवेद्य में गुड़, लाल रंग की मिठाई चढ़ा सकते है। आवाह्न मंत्र इनके लिए लाभदायी रहेगा।
- वृषभ व तुला राशि व लग्न वाले सफेद चंदन या स्फटिक की माला से कोई भी दुर्गा जी का मंत्र जप कर नैवेद्य में सफेद बर्फी या मिश्री का भोग लगा सकते हैं।
- मिथुन व कन्या राशि व लग्न वाले तुलसी की माला से जप कर दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं। नैवेद्य में खीर का भोग लगाएं।
- कर्क राशि व लग्न वाले सफेद चंदन या स्फटिक की माला से जप कर नैवेद्य में दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
- सिंह राशि व लग्न वाले गुलाबी रत्न से बनी माला का प्रयोग व नैवेद्य में कोई भी मिठाई अर्पण कर सकते हैं।
- धनु व मीन राशि व लग्न वालों के लिए हल्दी की माला से बगुलामुखी या दुर्गा जी के कोई भी मंत्र से जप ध्यान कर लाभ पा सकते है। नैवेद्य हेतु पीली मिठाई व केले चढ़ाएं।
- मकर व कुंभ राशि व लग्न वाले नीले पुष्प व नीलमणि की माला से जाप कर नैवेद्य में उड़द से बनी मिठाई या हलवा चढ़ाएं।
- कितने वर्ष की कन्या का पूजन कैसै करे ।
अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन में तीन से लेकर नौ साल तक की कन्याओं का ही पूजन करना चाहिए। इससे ज्यादा उम्र वाली कन्याओं का पूजन वर्जित है। अपने सामर्थ्य के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों तक अथवा नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें। कन्याओं के पैर धुलवाकर और साफ कपड़े से पोछना चाहिए और माथे पर कुमकुम से तिलक करें, गुलाब की माला पहनाए और आसन पर एक पंक्ति में बैठाएं। कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें। इसके बाद उन्हें उनकी पसंद का भोजन कराएं। भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें। कन्याओं को सौन्दर्य सामग्री , कपड़े या कोई भेंट, फल और दक्षिणा देकर हाथ में पुष्प लेकर भगवती से हर मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें ।
-नवरात्रि में कैसे निकले अंकुर( ज्वारा )तो क्या फल मिलता हैं।
1• हरे अंकुर निकलने पर घर और व्यापार में हर तरह से सुख समृधि हो
2• पीले अंकुर निकलने पर रोग में वृद्धि होती है ।
3• सफेद अंकुर निकलने पर धन की वृद्धि होती है ।