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Sunday, November 24

चीतों को चीतल-हिरण परोसने की सूचना, बिश्नोई समाज को ऐतराज: PM को लिखा पत्र-500 साल से जीवों को बचा रहे, आहत हैं

अभिनव टाइम्स बीकानेर। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए 8 चीतों को चीतल व हिरण परोसने के एक आर्डर को लेकर बिश्नोई समाज आहत है। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, बीकानेर की ओर से एक ज्ञापन 18 सितंबर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम दिया गया।

महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने ज्ञापन में कहा कि 17 सितंबर को श्योपुर एमपी के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए चीतों को भोजन के लिए राजगढ़ से भेजे गए चीतल व हिरण परोसे गए। इसे लेकर बिश्नोई समाज को एतराज है।

ज्ञापन में कहा है कि केंद्र सरकार नामीबिया से 8 चीते लाई। भारत में विलुप्त हुई चीतों की प्रजाति को दुबारा स्थापित करने का प्रयास किया। ये चीते शिकार कर सकें इसके लिए नेशनल पार्क के सीमित दायरे में चीतल व हिरण छोड़े गए हैं। इससे बिश्नोई समाज आहत है।

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का ज्ञापन।

ज्ञापन में कहा कि बिश्नोई समाज 500 साल से पर्यावरण, प्रकृति व वन्यजीवों की रक्षा के लिए गुरू जम्भेश्वर भगवान के दिए सिद्धांतों पर चल रहा है। हम दुनिया के एकमात्र समाज हैं जिन्होंने पेड़ों के लिए 363 लोगों का बलिदान दिया। कूनो की इस खबर से समाज दुखी है। समाज की संस्थाएं, संत जीवरक्षा समितियां, जीवरक्षा सभा व महासभा आहत हैं। वैज्ञानिक नजरिये से यह कोई स्थापित तथ्य नहीं है कि चीता प्रकृति के लिए जरूरी है और चीतल नहीं। निर्णय पर दोबारा विचार किया जाए।

महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने ज्ञापन में कहा कि राजस्थान में हिरण विलुप्त होने के कगार पर हैं। हमारा समाज जीवों के लिए प्राणों की आहुति देता आया है। इसलिए विलुप्त होती प्रजाति चीतल व हिरण को बचाया जाए। बिश्नोई समाज की भावनाओं का सम्मान किया जाए। जीव दया पालणी, रूंख लिलो नहीं घावे के गुरु जम्भोजी के सिद्धान्त को मजबूत रखा जाए। इसलिए चीतों तो चीतल परोसने के अवैज्ञानिक व संवेदनहीन आदेश को निरस्त किया जाए।

ट्विटर पर भी बिश्नोई समाज के लोग इस तरह के संदेश डाल रहे हैं।

ट्विटर पर भी चल रहे संदेश

बिश्नोई समाज के नेता कुलदीप बिश्नोई ने ट्वीट किया। लिखा कि चीतों के भोजन के लिए चीतल व हिरण भेजने की सूचनाएं आ रही हैं। यह अति निंदनीय है। मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि राजस्थान में विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे हिरणों की प्रजाति और बिश्नोई समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले की जांच करवाई जाए। अगर ऐसा है तो तुरंत इस पर रोक लगाई जाए।

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