अभिनव टाइम्स बीकानेर। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले आचार्य स्वामी धर्मेंद्र का आज सुबह 8 बजे जयपुर में निधन हो गया। पिछले 1 महीने से वे एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती थे। वे 80 साल के थे। वे डॉ. स्वाति श्रीवास्तव की यूनिट में भर्ती थे और आंत की बीमारी से ग्रसित थे।
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। पिछले सप्ताह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी SMS अस्पताल पहुंचे थे और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। आचार्य धर्मेंद्र के दो पुत्र हैं, सोमेंद्र शर्मा और प्रणवेंद्र शर्मा है। सोमेंद्र की पत्नी और आचार्य की बहू अर्चना शर्मा वर्तमान में गहलोत सरकार में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष हैं।
श्रीराम मंदिर आंदोलन में रहे थे सक्रिय
आचार्य धर्मेंद्र के निधन पर देशभर में हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने दुख जताया है। आचार्य श्रीराम मंदिर आंदोलन में भी रहे थे। विश्व हिंदू परिषद से लंबे समय तक जुड़े रहने के दौरान ये काफी चर्चा में रहे थे।
वे राममंदिर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से बोलते थे। बाबरी विध्वंस मामले में जब फैसला आने वाला था, तब उन्होंने फैसला आने से पहले कहा था कि मैं आरोपी नंबर वन हूं। सजा से डरना क्या? जो किया सबके सामने किया।
कौन थे आचार्य धर्मेंद्र
महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के पुत्र आचार्य धर्मेंद्र विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में रहे हैं। उनका पूरा जीवन हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्थान के उत्कर्ष के लिए समर्पित रहा।
आचार्य का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाड़ा में हुआ। पिता महात्मा रामचंद्र वीर महाराज के आदर्शों और व्यक्तित्व का इन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि इन्होंने 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचार-पत्र निकाला। आपको बता दें कि बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती जितने भी लोग थे उसमें आचार्य धर्मेंद्र को भी आरोपी माना था।
राममंदिर आंदोलन को एग्रेसिव तरीके से उठाया था
आंदोलन में उनके सहयोगी रहे विश्व हिंदू परिषद के पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वर्तमान में शीर्ष प्रचारक डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि आचार्य ने राममंदिर आंदोलन को बड़े ही एग्रेसिव तरीके से उठाया था। इसके लिए उन्होंने देशभर में सभाएं भी की थी।
वे इतने अच्छे वक्ता थे कि पॉलिटिशियन नहीं होने के बावजूद उनकी सभा को सुनने हजारों लोग पहुंचते थे। उनका संबोधन बड़ा क्रांतिकारी हुआ करता था। राममंदिर आंदोलन के साथ-साथ वे एक अच्छे कथा वाचक भी थे। 1990 में राम मंदिर आंदोलन के समय वे कार सेवकों में शामिल हुए थे, तब यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी।
महात्मा गांधी को कहा था- डेढ़ पसली वाला राष्ट्रपिता नहीं हो सकता
करीब 7 साल पहले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक सत्संग कार्यक्रम में आचार्य ने महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि कोई डेढ़ पसली वाला, बकरी का दूध पीने और सूत काटने वाला व्यक्ति भारत का राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हम भारत को मां मानते हैं। ऐसे में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहना बिल्कुल गलत है। महात्मा गांधी भारत मां के बेटे हो सकते है, लेकिन राष्ट्रपिता का दर्जा देना ठीक नहीं है।