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Sunday, November 24

ऋतुप्रिया की राजस्थानी कविताएं

मशीन

चौका-पौचा
रोटी-पाणी
अर
गाभा धोवण री
जींवती-जागती
मशीन हुवै लुगायां
कित्तो करै काम
ठाह नीं
कद जागै
कद सोवै
पण
घर में
सगळां रा
नूवां-नूवां ताना ढोवै।

2- इनाम

माणस
टाबर
सासु-सुसरो
देवर-जेठ
नणद-नणदोई
जेठूता-नाणदा
सगळां नै
परोटै बीनणी
घर संभाळती
उळझती -भाजती
जावै ड्यूटी माथै
दोलड़ै काम में
बिताद्यै जिनगी
कित्तो करै काम
पण
इण नै
कुण द्यै इनाम।

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