Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Friday, September 20

दुख का कारण नहीं बनेंगे- डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

  • डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

जो हरदम आगे रहते हैं,
आगे ही शोभा पाते हैं।
वो एक कदम भी रुक जाएं,
तो सब राही रुक जाते हैं।।
मंजिल को पाना मुश्किल है,
उसूल निभाना और कठिन।
सुख के तो अनगिन साथी हैं,
हैं असल परीक्षक दुख के दिन।।
निज-परिताप द्रवे यह दुनियां,
पर का परिताप न जान सके।
मिथ्या आडम्बर चक्कर में,
नहिं असल सत्य पहचान सके।।
उसूल निभाना अच्छा है
पर वो भी कहीं यदि रूढ़ हुआ।
जो कालबाह्य है उसे पकड़
कर अड़ा रहा सो मूढ़ हुआ।।
यह समय-सरित की धारा है
जो सुना रही सन्देश बड़ा।
जो बहता है वह निर्मल है
जो रुका पड़ा सो पड़ा सड़ा।
सबलों ने जग को सिखलाया
संसार निबल का दुश्मन है।
सामर्थ्यवान को दोष नहीं
बलहीन जनों हित बन्धन है।।
जो सक्षम हैं सो बदल रहे
सब रुग्ण रु रूढ़ रिवाजों को।
जर्जर दीवारें ढहा ढहा
वे खोल रहे दरवाजों को।।
लेकिन ये पीड़ा है मन में
दिखते सब अपने कष्ट लिए।
पर की पीड़ा महसूस करें
वो ज़िगर दिखाई नहीं दिए।।
खुद पर बीती तो नियम तजे
ना हुए तनिक शर्मिंदा हैं।
उन सबलों को क्यों सबल कहूँ
जो ज़िगर बेच कर जिंदा हैं।।
क्यों नियम निभाने का सारा
जिम्मा निबलों के नाम लिखा?
क्यों सबल बने स्वच्छंद कहो
क्यों नहीं पराया दर्द दिखा।।
कितने जीवन बर्बाद हुए
इन रूढ़ रीतियों के मारे।
कितने आशा के दीप बुझे
कितने ही डूब गए तारे।।
मुझको बतलाओ महामनो
किसने मांगी थी मजबूरी।
किसने निर्धनता चाही थी
सुख-संपत वैभव से दूरी।।
किसने माँगा था वैधव्य
किसने माँगी थी कोख बाँझ।
किसने चाहा था विकल अंग
किसने चाही थी साश्रु-साँझ।।
जो मिला हमें उसके पीछे भी
पता नहीं कुर्बानी किसकी।
छीन लिया जिसका दुर्दिन ने
किसे पता बेमानी किसकी।।
मिला उसे मत अटल मानना
नहीं मिला वो संभव मिलना।
सुमनों का झड़ना सच्चाई
सच का बीज कली बन खिलना।।
आओ सब मिलकर सोचें हम
पर पीड़ा से साक्षात करें।
मूंछों की झूठी ऐंठन को
छोड़ें और दिल से बात करें।
जिस दिन परदुख की अग्नि में
उबलेंगे आंसू मानव के।
उस दिन मानवता महकेगी
दुर्दिन वो दंभी दानव के।।
आओ संकल्प करें सारे
अधिकार किसी का नहीं हनेंगे।
सुख दे न सकें तो दे न सकें
(पर) दुःख का कारण नहीं बनेंगे।।

Click to listen highlighted text!