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Monday, November 25

टीचर्स नहीं आए, बीकानेर के तीन स्कूल पर लगा ताला: स्कूलों में आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, सोमवार से तेज होगा आंदोलन

अभिनव टाइम्स बीकानेर। बीकानेर के सरकारी स्कूल्स में टीचर्स की कमी बड़ी समस्या बन गई है। शनिवार को बीकानेर के दो सरकारी स्कूलों में तालाबंदी के बाद आला अधिकारियों ने विरोध दर्ज कराया गया। बज्जू के फुलासर बड़ा गांव के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीचर्स नहीं होने से पढ़ाई खराब हाे रही है। ऐसे में स्कूल के स्टूडेंट्स और ग्रामीणों ने शनिवार को स्कूल पर ताला लगा दिया।

सुबह से दोपहर तक ग्रामीण और स्टूडेंट्स विरोध दर्ज कराते रहे। इस स्कूल में टीचर लगाने के लिए पहले अधिकारियों से आग्रह किया गया। बीकानेर में जिला शिक्षा अधिकारी तक को इस बारे में बताया गया, लेकिन कोई ठोस कार्य नहीं हुआ। ऐसे में स्कूल पर शनिवार सुबह ताला लगा दिया गया। ग्रामीण मुख्य गेट पर तालाबंदी कर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। इस दौरान धरने पर उप जिला प्रमुख प्रतिनिधि हुकमाराम बिश्नोई भी धरने पर पहुंचे व ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए।

बिश्नोई ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग के अधिकारी गांवों से टीचर्स की ड्यूटी शहर में लगा रहे हैं, जबकि गांवों में ट्रांसफर किए गए टीचर्स वापस ट्रांसफर करवा रहे हैं। बाद में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी डॉ. रामगोपाल शर्मा ने मौके पर पहुंचकर एक-दो दिन में टीचर्स की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया। अब सोमवार तक टीचर्स नहीं पहुंचने पर आंदोलन शुरू होगा। राम प्रताप बिश्नोई ठाकरराम बेनीवाल आदि ने विरोध दर्ज कराया।

नोखा में भी विरोध

वहीं, नोखा के दावां गांव में भी रिक्त पदों के विरोध में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल तालाबंदी कर दी गई। आरोप है कि स्कूल में 24 पद स्थापित हैं, लेकिन आधे से ज्यादा रिक्त पड़े हैं। पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो गई है। अधिकांश विषयों की पढ़ाई अब तक शुरू ही नहीं हुई है। सरपंच भोमाराम ने बताया- आला अधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी टीचर नहीं आ रहे। अब सोमवार तक टीचर्स नहीं आने पर आंदोलन किया जाएगा।

लूणकरनसर में भी तालाबंदी

लूणकरनसर के सरकारी सीनियर सैकंडरी स्कूल सोढ़वाली में भी टीचर्स के पद रिक्त हैं। यहां भी शनिवार को स्टूडेंट्स ने तालाबंदी कर दी। यहां टीचर्स के 14 पद रिक्त पड़े हैं। बार बार मांग के बावजूद टीचर्स की व्यवस्था नहीं की जा रही है। हालात ये है कि अधिकांश विषयों की किताबें ही अब तक नहीं खुली है। ऐसे में ग्रामीणों में भी जबर्दस्त रोष है।

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