भाटी समर्थकों में खासा उत्साह
संजय आचार्य वरुण
बीकानेर । पूर्व काबीना मंत्री देवीसिंह भाटी ने अचानक आगामी 26 मई को हल्ला बोल व प्रशासन से जवाब तलबी की घोषणा में प्रशासन के साथ-साथ प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को भी पेशोपेश में डाल दिया है।भाटी ने हाल ही में चुनाव लड़ने की बात करके राजनीतिक दलों व अपने कार्यकर्ताओं को साफ संदेश दे दिया है। राजनीति के पंडितों का अनुमान सही निकला। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से भाटी आयुर्वेद व गोचर व गौवंश की रक्षा के लिए युद्ध स्तर पर जुटे हुए थे । हाल ही में गोचर बचाने के लिए दिए गए सफल मैराथन धरने ने भाटी को अलग पहचान दिलाई लेकिन जनसंघ के जमाने से गाय की पूंछ पकड़कर सत्ता की वैतरणी पार करने वाली भाजपा बैकफुट पर आ गई थी ।
कोलायत में अफसरों के भ्रष्टाचार की खबरों के बीच भाटी का एक वीडियो भी पिछले दिनों वायरल हुआ जिसमें ऐसे अफसरों पर अपनी कड़ी चेतावनी देते हुए दिखे। हाल ही में कोलायत मुख्यालय , देशनोक व बज्जू जैसे क्षेत्रों में लोगों से मिलकर उन्हें जता दिया की कोलायत की जनता असहाय नहीं है। जरूरत पड़ी तो वे सरकार व अफसरों से दो-दो हाथ करने में पीछे नहीं हटेंगे।
भाटी ने कोलायत व जिले की विभिन्न समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र देने के साथ ही युद्ध का शंखनाद कर दिया है। मुख्यमंत्री को दिए पत्र में भाटी ने ऊर्जा मंत्री के इलाके कोलायत में बिजली की बेमियादी आवाजाही , पेयजल के अभाव में प्यासे मरते लोगों , पशुचारे उपलब्ध कराने व नरेगा मजदूरों के लिए नया शेड्यूल जारी करने व चोरों के बुलंद हौसले के कारण दहशत में जी रहे कोलायत की जनता के लिए प्रशासन से जवाबतलबी करने की बात कर नौकरशाही को अलर्ट मोड पर ला दिया है । भाटी ने अपनी इस घोषणा से उन नेताओं को भी आईना दिखाया है जो कागज पर समीकरण बना कर चुनाव की बात करते हैं । बहरहाल भाटी के एलाने जंग से उनके समर्थक उत्साहित हैं ।
भाटी का सरकार व नौकरशाही से जवाब तलबी करना उनका पसंदीदा शगल है। सुविधा की राजनीति के लिए कभी समझौता नहीं करने वाले जमीन से जुड़े भाटी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत के समय ही बीकानेर में हुए दलित मंजू बलात्कार कांड पर जिस दबंगता के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को कटघरे में खड़ा किया उसने भाटी को राज्य स्तर पर एक दबंग नेता की पहचान दिलाई । एक दलित बालिका के लिए राज्य के मुख्यमंत्री से टकरा जाना भाटी के ही जिगर की बात थी । उसके बाद से लगातार चुनाव जीतने वाले राजस्थान के एकमात्र करिश्माई नेता है जिनका सभी वर्गों में खासा प्रभाव है । नब्बे के दशक में भाजपा की शेखावत सरकार को बचाने के लिए जनता दल दिग्विजय का भाजपा में विलय करवाने वाले भाटी बाद में शेखावत सरकार में सिंचाई मंत्री बने जिसका नतीजा कोलायत के गांव ढाणियों तक नहरों का जाल बिछा हुआ है । मूल ओबीसी जातियों आरक्षण पर चोट आने पर भाटी ने सामाजिक न्याय मंच नाम से आरक्षण आंदोलन शुरू किया था। राजस्थान के लगभग हर जिले में उस दौर की रैलियों में उमडऩे वाली जनता ने राष्ट्रीय स्तर पर भाटी को पहचान दी । बीकानेर संसदीय सीट पर पहली बार भाजपा का सांसद देने का श्रेय भी भाटी को ही जाता है । भाटी ने भले ही कुछ समय पूर्व भाजपा से इस्तीफा दे दिया था लेकिन कहीं ना कहीं उनके तार आज भी भाजपा से जुड़े हुए है। बीकानेर जिले में निष्क्रिय भाजपा संगठन के कारण आहत हुए कार्यकर्ता भाटी की ओर देख रहे हैं। भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं हाल ही में जब प्रदर्शन के दौरान भाजपा के नेताओं पर मुकदमे दर्ज हुए तो भाजपा का प्रदेश नेतृत्व मूकदर्शक की भूमिका में हीं रहा नतीजा यह कि स्थानीय नेताओं को अदालत की शरण लेनी पड़ी। वही इस जगह भाटी होते तो शायद इसकी नौबत नहीं आती बाटी कार्यकर्ताओं से पहले खुद जेल जाना पसंद करते उसके बाद जेल भरो आंदोलन जैसा कोई नजारा बीकानेर में देखने को मिलता लेकिन बीकानेर भाजपा में फिलहाल भाटी जैसा दबंग व्यकित्व व करिश्माई कोई नेता नहीं है।