दिल्ली के दिल पर दस्तक दे आए इरशाद अज़ीज़
■ संजय आचार्य वरुण
कुछ लोग अपने काम की इबारत को कुछ इस तरह से लिखते हैं कि वो इतिहास बन जाता है। चूंकि हर बीता हुआ दिन इतिहास नहीं होता, इसीलिए जिनमें इतिहास बनाने की कुव्वत होती है वे बनी- बनाई लकीरों पर नहीं चलते। वे अपने हर दिन को कुछ इस तरह से जीते हैं कि उनका जीया हुआ और उनका किया हुआ लोगों के लिए मिसाल बन जाता है। अदब या साहित्य की बात करें तो इस क्षेत्र में बीकानेर से एक ऐसा नाम उभरकर सामने आ रहा है जो अदब का ऊंचा आसमान अपने हाथों से छूने की ज़िद लिए निरंतर चल रहा है, वो नाम है इरशाद अज़ीज़ का। ये वो ही इरशाद अज़ीज़ हैं जिन्होंने भारत की आज़ादी के बाद बीकानेर का पहला दीवान उर्दू शायरी को दिया है। हो सकता है कि उनका दीवान 'आहट' आज़ादी के बाद का राजस्थान का भी पहला दीवान हो। उर्दू अदब की तारीख़ में नए दौर के पहले साहिबे दीवान शाइर होने के बाद इस 29 अगस्त 2024 को इरशाद अज़ीज़ ने एक...