दुर्लभ रचना संवत 1765 में जैन मुनि उदयचंद रचित “बीकानेर गजल”
नगर-वर्णनात्मक गजलों की परम्परा सत्रहवीं शताब्दी से प्रारम्भ होती है। कवि जटमल नाहर की लाहौर गजल सर्वप्रथम ज्ञात रचना है इस परम्परा को विशेष रूप से जैन कवियों ने अपनाया तथा उन्नीसवीं शताब्दी तक पचासों ग्राम व नगरों की गजलों का उन्होंने सृजन किया। ऐसी रचनाओं का एक संग्रह स्व. मुनि कांतिसागर जी ने हिन्दी-पद्य संग्रह नामक ग्रंथ में तथा कुछ फुटकर सामग्री फार्बस सभा के त्रैमासिक में प्रकाशित करवाई थी। इससे भी पहले की ऐसी रचनाओं का एक संग्रह तैयार किया था तथा उस सामग्री का कुछ विवरण राजस्थान में हस्तलिखित हिन्दी ग्रन्थों की खोज भाग -2 में प्रकाशित भी करवाया, पर खेद है कि काफी प्रयत्न करने पर भी वह सामग्री ग्रन्थाकार रूप में प्रकाशित न हो सकी।वर्णनात्मक नगर-परिचय के साथ-साथ चित्रात्मक नगर-परिचय भी उपलब्ध होते हैं। ऐसे दो सचित्र विज्ञप्ति पत्र बीकानेर के बड़े उपासरे स्थित वृहद ज्ञान भण्डार में प्...