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Thursday, September 19

11 साल की बच्ची का गैंगरेप हुआ, मां बन गई:अब घर से बाहर नहीं निकलती; कहती है- वो मुझे और बच्चे को मार डालेंगे

अभिनव न्यूज।
उन्नाव: वह उन्नाव जिले की रहने वाली है। उम्र 11 साल है। अब एक बच्चे की मां है। क्यों? क्योंकि 13 फरवरी को उसके पड़ोस के 5 लड़कों ने उसके साथ गैंगरेप किया। वो कब्रिस्तान में तड़पते-तड़पते बेहोश हो गई। होश आया तो शरीर हर जगह से नुचा-कुटा और खून से लथपथ था। लड़खड़ाती हुई घर पहुंची। घटना के 8 महीने बीत गए। अब गुड़िया की गोद में 22 दिन का बच्चा है।

चीनी लेने पड़ोस में गई थी, लड़के उठा ले गए
कहानी शुरू होती है 13 फरवरी से। गुड़िया घर के लिए चीनी लेने दुकान पर जा रही थी। दुकान घर से करीब 300 मीटर की दूरी पर थी। दूरी भी कम थी, वहां कोई डर भी नहीं था। लोग भी एक-दूसरे को जानते थे। फिर भी गुड़िया एक घंटे तक घर नहीं लौटी, क्योंकि रास्ते से ही 5 लड़के उसे जबरदस्ती उठाकर कब्रिस्तान ले गए। गैंगरेप किया और उसे तड़पता हुआ छोड़कर भाग गए।

घंटेभर से ज्यादा हो गया। गुड़िया घर वापस नहीं आई तो खोजबीन शुरू हुई। मां और बाप इधर-उधर भाग-भागकर ढूंढने लगे। कब्रिस्तान के आसपास भी आवाज लगाई, पर कोई जवाब नहीं आया। क्योंकि गुड़िया असहनीय दर्द से बेहोश हो गई थी। दो घंटे बाद उसे होश आया। उसके कपड़े खून से सने हुए थे। जैसे-तैसे लड़खड़ाती हुई वो घर पहुंची। सभी ने बार-बार सवाल पूछे। वो कुछ बोल ना पाई।

सुबह हुई। गुड़िया गुमसुम बैठी रही। मां ने फिर से पूछा, “क्या हुआ था?” गुड़िया उनसे लिपट कर रोने लगी। मां ने उसे संभाला और कहा, बताओ तो सही क्या हुआ था? गुड़िया इस बार चुप नहीं रही। उसने गांव के ही पांच लड़कों का नाम लेते हुए कहा, “इन सभी ने मेरे साथ गंदा काम किया है।” मां को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि घर के बगल में रहने वाले ये लड़के ऐसा कर सकते हैं। उसने माथा पीट लिया। बेटी को लेकर थाने पहुंची। गैंगरेप सुनते ही पुलिस सक्रिय हुई और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

गुड़िया के पेट में दर्द हुआ तो डॉक्टरों ने कहा- सिर्फ सूजन है
घटना के करीब 1 महीने बाद गुड़िया के पेट में तेज दर्द उठा। परिवार के लोग उन्नाव के जिला अस्पताल पहुंचे। रेप केस था इसलिए पुलिस भी पहुंच गई। गुड़िया का अल्ट्रासाउंड हुआ। रिपोर्ट आई तो डॉक्टरों ने बताया कि गुड़िया के पेट में सूजन है इसलिए दर्द हुआ। प्रेग्नेंसी की बात उसे बताई ही नहीं गई। वह सूजन कम होने की दवा खाती रही।

गुड़िया का छोटा-सा शरीर दर्द में ऐंठ रहा था
गुड़िया धीरे-धीरे सब भूलना चाहती थी, लेकिन उसके पेट में हो रहा असहनीय दर्द उसे सब याद दिलाता रहा। एक महीने से सूजन की दवा खा रही थी, पर उसे कोई राहत नहीं मिली। उसका छोटा-सा शरीर दर्द से ऐंठने लगा। एक दिन वो सुबह उठी तो उसे उल्टियां होने लगीं। मां ने पानी में चीनी घोल कर गुड़िया को पिला दी। कुछ राहत मिली तो वो सो गई, लेकिन अब हर दिन ऐसा होने लगा।

कभी उसे उल्टियां होतीं, कभी चक्कर जैसा महसूस होता। मां उसे लेकर डॉक्टर के पास गई। दोबारा गुड़िया की जांच हुई। रिपोर्ट्स आई तो मां के पैरों तले जमीन खिसक गई। गुड़िया के पेट में डेढ़ महीने की नन्ही-सी जान पल रही थी।

गुड़िया को बताया- उसके पेट में पत्थर है
बच्चे की बात सुनकर मां-बाप खुद को संभाल नहीं पा रहे थे। गुड़िया के पिता ने कहा, “रेप के बाद पूरा गांव हमारे खिलाफ हो गया था। कोई हमारा साथ नहीं देता था। आते-जाते लोग ताने मारते थे। ये सब हम भूलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गुड़िया के पेट में बच्चा होने से हमारी बची-खुची इज्जत भी चली गई।”

मां ने बताया, “हम तो झेल लिए, पर अपनी 11 साल की बच्ची को कैसे बताते कि वो मां बनने वाली है। इसलिए उसको झूठ बोल दिया। उसे बताते रहे कि उसके पेट में पत्थर है, इसलिए ये दर्द हो रहा है।”

वो आगे कहती हैं कि एक तरफ हम गुड़िया से झूठ बोलते रहे, दूसरी तरफ उसका बच्चा गिराने की कोशिश करते रहे। लेकिन, हमें इजाजत नहीं मिली।

डॉक्टर का कहना था कि गुड़िया अभी बहुत छोटी है और उसके पेट में बच्चा भी डेढ़ महीने का हो गया है। अब एबॉर्शन करवाने से गुड़िया की जिंदगी को खतरा हो सकता है। मां बोलीं कि हम अपनी गुड़िया की जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते थे। इसलिए बच्चे को उसके पेट में पलने दिया।

20 सितंबर… रात के करीब 3 बजे। रोज की तरह अस्पताल में सब शांत था। मरीज अपने-अपने बेड पर सो रहे थे। अचानक से अस्पताल के गेट पर चिल्लाने की आवाज आई। डॉक्टर साहब मेरी बच्ची को बचा लीजिए। वो पेट दर्द से कराह रही है। बच्ची होश और बेहोशी के बीच जूझ रही थी। मां के चिल्लाने की आवाज सुनकर डॉक्टर वहां पहुंचे। देखा बच्ची का पेट फूला हुआ था। मां गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उसकी बच्ची को रात में एडमिट नहीं किया। बड़ी मिन्नतों के बाद सुबह 11 बजे उसे एडमिट किया।

21 सितंबर… दोपहर करीब 12 बजे अस्पताल के वार्ड में किलकारियां गूंजी। गुड़िया मां बन गई। उसने एक लड़के को जन्म दिया था। ये सुनकर बच्ची की मां रो रही थी। पिता पास में मायूस खड़े थे। उनके चेहरे पर खुशी की जगह मन में गुस्सा और बच्चे की देखभाल की चिंता थी।

गुड़िया की मां बोलीं, बच्चे को दूध हम पिलाते हैं
जब हम गुड़िया के घर पहुंचे तो वो बच्चे के पास गुमसुम बैठी थी। ना उसे खुद की सुध थी, ना बच्चे की। हमारे कुछ पूछने पर गुड़िया धीमी-सी आवाज में जवाब देती, फिर चुप हो जाती। उसकी मां ने बताया, “गुड़िया अब ऐसे ही शांत रहने लगी है। कभी मन होता तो बच्चे को खिलाती है, फिर चुपचाप बैठ जाती।” मां कहती हैं, “गुड़िया तो अभी छोटी है इसलिए बच्चे की देखभाल हम करते हैं। उसको दूध हम पिलाते हैं। जो हुआ उसमें इस बच्चे की क्या गलती है। इसलिए हम जिंदगी भर इसको पाल लेंगे।”

इस केस में पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध
गुड़िया के साथ बर्बरता करने वाले 5 में से 3 आरोपी 8 महीने से जेल में हैं। गुड़िया के पिता कहते हैं, “पुलिस ने जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया है उसमें एक निर्दोष है। हमने पुलिस से भी कहा, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी। जबकि तीन अन्य आरोपी गांव में ही खुलेआम घूम रहे हैं। फिर भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करती। वो लड़के लगातार गुड़िया को जान से मारने की धमकियां देते रहते हैं।

गुड़िया के एक कमरे वाले घर में दाहिनी तरफ एक खूंटी है। उसमें उसका स्कूल बैग टंगा है। बैग में लिखा है, खूब पढ़ें-आगे बढ़ें, लेकिन गुड़िया अब न पढ़ सकती है और न ही पढ़ने के लिए बढ़ सकती है, क्योंकि जिस उम्र में उसे खेलना था, उस उम्र में उसकी गोद में एक बच्चा पड़ा है। उसे इस बात का डर है कि अगर स्कूल गई तो वो लोग मार देंगे।

मां कहती हैं, “जबसे ये हादसा हुआ है ना भर पेट खाना खाया है, ना रात को चैन से सोए हैं। हमारा घर गांव में पीछे की तरफ है। डर लगा रहता है कि कोई रात में आकर हमको जान से ना मार दे। गुड़िया भी जागते हुए तो कुछ नहीं कहती, लेकिन सोते वक्त उसका डर जाग जाता है। चीखकर रो देती है। खुद से चिपका कर उसे सुलाना पड़ता है। चाहे दिन हो या रात, अब गुड़िया को एक पल भी हम अकेला नहीं छोड़ते।”

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