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जयपुर: आज कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर गोवर्धन की पूजा, अन्नकूट महोत्व है। शुभ संयोग यह है कि 4 अच्छे ज्योतिष योग इस दौरान बने हैं। नए और शुभ-मांग्लिक कार्य शुरू करने के लिए आज का दिन उत्तम है। भाईदूज का पर्व कल मनाया जाएगा। आयुष्मान, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और प्रीति योग के बीच गोवर्धन पूजा देश-प्रदेश के लिए सुख—समृद्धि देने वाली रहेगी। आज प्रीति योग भी बना हुआ है। जो सुबह 10.09 बजे तक है। यह पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फलदायी माना जाता है। इसके बाद से आयुष्मान योग भी शुरू हो रहा है। लेकिन कल सूर्यग्रहण रहने के कारण करीब 150 साल बाद दीपावली का दूसरा दिन छोड़कर आज तीसरे दिन गोवर्धन पूजा हो रही है। आज भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है। राजस्थान में घरों और मंदिरों में पारम्परिक रूप से अन्नकूट प्रसादी बनाई और खिलाई जाती है।
भरतपुर के कॉलेज ग्राउंड में 108 फीट के गोवर्धन बनाएंगे वर्ल्ड रिकॉर्ड
भरतपुर में कॉलेज ग्राउंड में श्रद्धालुओं ने 108 फीट के भगवान श्रीकृष्ण चिटकी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाए हुए बनाए गए हैं। जिसकी आज पूजा रखी गई है। इसे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे बड़े गोबर के गोवर्धन भगवान के रूप में अवॉर्ड के लिए भी प्रपोज किया गया है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी गोवर्धन प्रतिमा बताया जा रहा है। लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम यहां आएगी, उसके बाद गोवर्धन पूजा दिखाई जाएगी। आज शाम 5 बजे पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह इस पूजा में शामिल होंगे। राजस्थान का भरतपुर जिला क्षेत्र ब्रज में आता है। इसलिए यहां गोवर्धन की पूजा हमेशा बड़े रूप में होती है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के मुताबिक द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के घमंड तोड़कर उनके प्रकोप से सभी गोकुलवासियों की रक्षा की थी। तब इंद्र को अपने किए पर पश्चाताप हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से इसके लिए माफी मांगी। तब से हर साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। यह श्रीकृष्ण, प्रकृति से प्रेम और उनके संरक्षण का प्रतीक है। अहंकार नहीं करने का संदेश भी यह पर्व देता है। गोवर्धन पर भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। जिसमें अलग-अलग तरह के व्यंजन 56 भोग ठाकुरजी को परोसे जाते हैं। नए अन्न का भगवान को भोग लगाकर प्रसादी ग्रहण की जाती है।
भाई दूज कल मनाई जाएगी
कल भाई दूज (उदयव्यापिनी दोज) दिन भर रहेगी। इस दौरान सुबह 6.37 बजे से शाम 5.44 बजे तक अलग-अलग चौघड़ियों में तिलक किया जाना शुभ रहेगा। आज दोपहर बाद से दूज तिथि लग जाएगी। लेकिन ढलते सूर्य में दूज नहीं मनाई जाती है, इसलिए 27 अक्टूबर को भाईदूज का पर्व मनाया जाएगा। बहनें भाई को तिलक लगाकर लम्बी उम्र की कामना करेंगी। भाई बहनों को आशीर्वाद और रक्षा का वचन देकर उन्हें गिफ्ट भी देंगे।
भाईदूज पर तिलक का समय
चौघड़िया | समय |
शुभ का चौघड़िया | सुबह 6.37 से 8 बजे |
चर का चौघड़िया | सुबह 10.47 से 12.11 बजे |
अभिजीत,लाभ,अमृत वेला | दोपहर 12.11 से 2.57 बजे |
शुभ का चौघड़िया | शाम 4.21 से 5.44 बजे |