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Friday, September 20

बज्मे वली संस्थान की ओर से तीन शायरों का सम्मान

अभिनव न्यूज
बीकानेर
। बज्मे ‘वली’ संस्था लालगढ़, बीकानेर द्वारा नगर के ख्यातनाम तीन शायरों का उनके महत्वपूर्ण साहित्यिक एवं सृजनात्मक अवदान के लिए रविवार को सम्मान किया गया।
संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ शायर एम.इस्हाक़ गौरी ने बताया कि नागरी भण्डार स्थित सुदर्शन कला दीर्घा में आयोजित समारोह के अध्यक्ष डॉ. अज़ीज़ अहमद सुलेमानी एवं अतिथि साहित्यकार कमल रंगा एवं शायर इम्दादुल्लाह ‘बासित’ थे।
सम्मान समारोह मे बोलते हुए डॉ. सुलेमानी ने कहा कि उर्दू शायरी में नव प्रयोग होने चाहिए साथ ही महिला शायराओं का भी सम्मान होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आज उर्दू शायरी पूरे विश्व की भाषाओं में की जा रही है।
समारोह के अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि बीकानेर में सृजन होने वाला उर्दू हिन्दी एवं राजस्थानी साहित्य किसी भी भारतीय भाषाओं में कमजोर नहीं है। परन्तु दुखद पहलू यह है कि बीकानेर की प्रतिभाओं को वो प्रोत्साहन या मंच न मिल पा रहा है। जिसके वो हकदार है।
समारोह के अतिथि शायर इम्दादुल्लाह ‘बासित’ ने कहा कि ऐसे आयोजन से प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलता है और साहित्य सृजन करने कि प्रेरणा मिलती है।
सम्मान समारोह के दूसरे चरण में नगर के विशेष रूप से आमंत्रित हिन्दी उर्दू एवं राजस्थानी के कवि शायरों ने अपनी चुनिन्दा रचनाओं का वाचन कर वातावरण को कवितामय बना दिया।
इस त्रिकाव्य रस धारा में कमल रंगा, जाकिर अदिब मौलाना अशरफी, एम.इस्हाक़ गौरी, अब्दुल वाहिद अशरफी, बुनियाद हुसैन जहीन, इरशाद अजीज, अमीत गोस्वामी, जुगल किशोर पुरोहित, रवि शुक्ल, असद अली असद, जब्बार जज्बी, माजिद खा गौरी, डॉ जिया उल हसन कादरी, यासीन आदि ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को आनन्दित किया।
सम्मान समारोह में नगर के वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब, बुनियाद हुसैन जहीन एवं मौलाना अब्दुल वहीद अशरफी का अतिथियों डॉ सुलेमानी, कमल रंगा, इम्दादुल्लाह ‘बासित’ के साथ संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ शायर एम.इस्हाक़ गौरी ने माला, साफा, सम्मान पत्र, शॉल, आदि अर्पित कर समादृत किया।
इस अवसर पर अहमद सुलेमानी, साजिद हुसैन, इमरोज गौरी, रेहान गौरी, हम्जा गौरी, देवदत्त शर्मा, नंद किशोर आचार्य, गंगा बिशन बिश्नोई सहित कई गणमान्य श्रोता समारोह के साक्षी रहे।
समारोह का संचालन उर्दू अकादमी के सदस्य इरशाद अजीज एवं वरिष्ठ शायर डॉ जिया उल हसन कादरी ने किया।

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