अभिनव टाइम्स बीकानेर। बज़्मे-मुसलमा कमेटी मोहल्ला भिस्तियान की जानिब से हर साल की तरह इस साल भी हज़रत इमाम हुसैन की याद में 77वीं तरही बज़्मे-मुसालमा का आयोजन मदीना मस्जिद के पीछे मुशायरा चौक में कामयाबी के साथ संपन्न हुआ।
बज़्मे मुसालमा कमेटी के सेक्रेट्री शायर बुनियाद ज़हीन ने बताया कि इस तरही मुशायरे में नगर के साथ-साथ राजस्थान के अन्य स्थानों से पधारे शायरों ने भी हज़रत इमाम हुसैन की याद में अपना सलाम पेश करके अपनी अक़ीदत का नज़राना पेश किया।
जोधपुर के शायर डॉ. निसार राही ने अपनी सलाम के इन शे’रों से सामईन से भरपूर दाद हासिल की –
बदल रही हैं घटाएं गरज़ रहे बादल
बयान यूं भी तेरी दास्तां हुई है हुसैन
वो हौसला वो शुजाअत वो सब्रो इस्तकलाल
गुमान क्यों ये गुज़रता है कि अली हुसैन
वरिष्ठ शायर एवं बज़्मे-मुसालमा कमेटी के कन्वीनर ज़ाकिर अदीब ने अपने इन शे’रों के ज़रिए कार्यक्रम में अपनी अक़ीदत का मुज़ाहिरा यूं किया-
फ़ुराते वक़्त की हर मौज कांपती है हुसैन
ये धाक आपके किरदार की रही है हुसैन
समंदरों ने भी जिसको खिराज पेश किया
फ़क़त वो अहले रिज़ा की ही तिश्नगी है हुसैन
शायर बुनियाद ज़हीन के इन शे’रों को भरपूर दादो-तहसीन से नवाज़ा गया-
जिसे ज़माना हमेशा ही गुनगुनायेगा
वो इंतिहाई सुरीली सी रागिनी है हुसैन।
चूरू के शायर अब्दुल मन्नान मज़हर ने नज़र उठाके चलेगा वो सर कि जिस सर ने
तुम्हारे नाम की दस्तार बांध ली है हुसैन
और मोहम्मद इदरीश राज़ चूरुवी ने इसीलिए तो अंधेरों से डर नहीं लगता बुझे दिलों में तेरे ग़म से रोशनी है हुसैन शेर सुना कर मुशायरे को परवान चढ़ाया।
बिसाऊ से पधारे शायर मख़्दूम बिसाऊवी के कलाम को भी भरपूर सराहना मिली।
मकामी शायर क़ासिम बीकानेरी ने-
अंधेरे सारे ज़माने के हो गए रुख़सत
तेरे लहू के दिये में वो रोशनी है हुसैन शे’र सुना कर मुशायरे में एक नया रंग भरा। वरिष्ठ शायर मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफ़ी ने- चले भी आओ दोबारा पनाहे-दीं बनकर /खुदा के दीन की दीवार गिर रही है हुसैन। वली ग़ौरी ने- अली के लहजे़ में जैनब ने जब दिया ख़ुत्बा/ बदन पे तारी लइनों के थरथरी है हुसैन। असद अली असद ने ये मस्जिदों में जो अब भी अज़ान होती है/तुम्हारी जीत का डंका बजा रही है हुसैन। इरशाद अज़ीज़ ने-अज़ाने रोज़े नमाज़ें न हज न हम होते/ हमारी जान और ईमां की ज़िंदगी है हुसैन।
तरही मुशायरे में मुफ्ती अशफ़ाक़ ग़ौरी, मुनव्वर हुसैन साग़र सिद्दीकी अब्दुल जब्बार जज्बी मोइनुद्दीन सालिक इरम, इमदादुल्लाह बासित, गुलफाम हुसैन और महबूब देशनोकवी ने अपनी सलाम पेश करके हज़रत इमाम हुसैन की याद में अक़ीदत का नज़राना प्रस्तुत किया। मुशायरे के आख़िर में सलातो सलाम पेश की गई और शीरनी तक्सीम की गई। सभी का शुक्रिया आबिद हुसैन ने ज्ञापित किया।
संवाद प्रेषक
बुनियाद ज़हीन
सेक्रेट्री बज़्मे-मुसालमा